"इस्लाम में हिजाब पहनना जोर-जबरदस्ती नहीं", स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन होने पर क्या बोले भारतीय मौलाना?
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"इस्लाम में हिजाब पहनना जोर-जबरदस्ती नहीं", स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन होने पर क्या बोले भारतीय मौलाना?

Burqa Ban In Switzerland: स्विट्जरलैंड में साल 2021 में एक जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें करीब 51.2 फीसदी लोगों ने बुर्का पर बैन लगाने वाले कानून के सपोर्ट में वोट किया था. अब इस बैन को नए साल 2025 की पहली सुबह से लागू कर दिया गया है. आइए जानते हैं भारतीय मौलानाओं ने इस पर क्या प्रतिक्रियाएं दी हैं?

 

"इस्लाम में हिजाब पहनना जोर-जबरदस्ती नहीं", स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन होने पर क्या बोले भारतीय मौलाना?

Switzerland Burqa Ban: स्विट्जरलैंड ने नए साल की पहली सुबह से ही महिलाओं के मुंह ढ़कने पर पाबंदी लगा दी है. यानी बुर्का, हिजाब को पूरी तरह से बैन कर दिया गया है. अब कोई भी महिलाएं पब्लिक प्लेसेस पर बुर्का, हिजाब नहीं जा पाएंगी. अगर इस कानून का उल्लंघन करती हुई कोई पकड़ी गई तो उनके ऊपर सख्त एक्शन लिया जाएगा और 1000 स्विस फ्रैंक (करीब 96 हजार रुपए) तक का जुर्माना लगाया जाएगा. इस पर अब भारतीय मौलानाओं की प्रतिक्रियाएं आई हैं. अजमेर दरगाह के खादिम व चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सलमान चिश्ती समेत देशभर के कई मौलानाओं की इस पर बात रखी है.

"हर इंसान को अपने मजहब के हिसाब से जीने की होनी चाहिए आजादी"
हालांकि, स्विट्जरलैंड में हिजाब बैन लागू करने के बाद भारतीय मौलानाओं ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं.  देवबंदी मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि ये इस्लाम के खिलाफ है और हर इंसान को अपने मजहब के हिसाब से जीने की आजादी है. इसी तरह से स्विट्जरलैंड के मुसलमानों को भी अपने दीन और शरीयत पर चलने की आजादी होनी चाहिए. मैं स्विट्जरलैंड सरकार इस फैसले की कड़ी निंदा करता हूं. वहीं, मुरादाबाद के मौलाना अमीर हमजा ने कहा कि बुर्का पहनना इस्लामिक कल्चर है. स्विट्जरलैंड में इस पर रोक लगाना बहुत ही निंदनीय है.

चेयरमैन हाजी सलमान चिश्ती ने क्या कहा?
चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सलमान चिश्ती ने स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन पर कहा कि इस्लाम मजहब में हिजाब पहनना कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है. वहीं, जैसे भारत में सभी को आजादी है, वैसे ही स्विट्जरलैंड में सभी को आजादी होनी चाहिए. 

अजमेर दरगाह के खादिम ने बताया कि वह एक सप्ताह पहले पेरिस में थे और वो वहां से जेनेवा भी गए थे. उस वक्त तक हिजाब को लेकर कोई बात नहीं रही थी. उन्होंने कहा, "हिजाब को लेकर खबर आने के बाद मैने जेनेवा में बात की, जिससे पता चला कि 2021 में एक जनमत संग्रह हुआ था, इसमें करीब 51.2 प्रतिशत लोगों ने इस बुर्का पर बैन लगाने वाले कानून के पक्ष में वोट किया था. लेकिन सर पर दुपट्टा करना, प्रार्थना के दौरान सिर पर कपड़े रखने की रोक कानून में नहीं है."

"इस्लाम में भी हिजाब को लेकर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है"
उन्होंने कहा, "हमारा मुल्क भारत पूरी दुनिया में अपनी मजहबी ताकत के लिए जाना जाता है. हमारे संविधान के तहत सभी को फ्रीडम है कि वो अपने मजहब और आस्था को फॉलो करे. वहीं, इस्लाम में भी हिजाब को लेकर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है. यह लोगों की अपनी मर्जी होती है. वो अपने निजी जीवन में हिजाब का इस्तेमाल करना चाहें तो यह उनको छूट होती है. यह छूट भारत में तमाम मजहबों के नागरिकों को है. इसकी स्वतंत्रता संविधान देता है."

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