Israel Hamas Ceasefire: इजरायल और गाजा के दरमियान जंगबंदी को लेकर एक बार फिर बातचीत शुरू होने वाली है. बातचीत के लिए इजरायल के प्रतिनिधि दोहा पहुंचे हैं.
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Israel Hamas Ceasefire: इजरायल और गाजा के दरमियान सीजफायर के लिए बातचीत फिर से शुरू करने के लिए इजराइल का एक सीनियर प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दोहा पहुंचेगा. जराए के मुताबिक, इजराइल सुरक्षा कैबिनेट ने रविवार रात को गाजा में अस्थायी संघर्ष विराम और बंधकों की रिहाई के बारे में बातचीत के लिए कतर में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया.
बातचीत के लिए पहुंचा डेलीगेशन
जानकारी के मुताबिक, मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया की कयादत में प्रतिनिधिमंडल कतर और मिस्र के मध्यस्थों के जरिए बातचीत करेगा. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि सीजफायर समझौते पर मुहर लगाने से पहले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट दोनों के साथ परामर्श किया जाएगा. सोमवार से शुरू होने वाली दोहा बातचीत में इजरायल और हमास के बीच सीजफायर की कोशिश की जाएगी. इस बातचीत में यह भी शर्त रखी जा सकती है कि इजरायल फिलिस्तीन के कैदियों को रिहा करे.
रमजान में नहीं हुआ युद्धविराम
पिछले हफ्ते मुस्लिमों के पवित्र महीने रमज़ान की शुरुआत के बाद से पहली बार इजरायली अधिकारी और हमास नेता अप्रत्यक्ष वार्ता में शामिल होंगे. मध्यस्थों को इससे पहले छह सप्ताह का संघर्ष विराम सुनिश्चित करने की उम्मीद थी, लेकिन हमास ने ऐसे किसी भी समझौते से इनकार कर दिया था. इज़राइल ने भी हमास की शर्तें नहीं मानी थीं. इजरायल ने अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया था कि वह तब तक स्थायी युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होगा जब तक कि हमास का पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता.
35 बंधक होंगे रिहा
पिछले सप्ताह में, दोनों पक्षों ने बातचीत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कदम उठाए हैं और पहला चरण छह सप्ताह का अस्थायी युद्धविराम होगा. इसमें हमास की तरफ से गाजा में कैद में रखे गए 35 बंधकों की रिहाई शामिल होगी. इसके बदले इजरायल 350 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा. इसमें महिलाएं, बीमार और बुजुर्ग लोग शामिल हैं. आतंकवादी संगठन 50 कैदियों के बदले में कम से कम पांच महिला सैनिकों को भी रिहा करेगा, जिनमें हत्या सहित आतंकवादी आरोपों में लंबी सजा काट रहे कुछ कैदी भी शामिल हैं.
इजरायल करेगा मांग
हालांकि, इज़राइल पक्ष ने मध्यस्थों से कहा है कि वे स्थायी युद्धविराम पर किसी भी बातचीत के लिए सहमत नहीं होंगे और दोहा वार्ता शुरू होने के बाद आगे की मांगें उठाई जाएंगी.