Pollution: दिल्ली में ग्रेप लागू; स्कूल, दफ्तर, ऑड-ईवन को लेकर हाई लेवल मीटिंग
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Pollution: दिल्ली में ग्रेप लागू; स्कूल, दफ्तर, ऑड-ईवन को लेकर हाई लेवल मीटिंग

Delhi School/Office: राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन की खराब हालत ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. दफ्तर आने-जाने और बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं नजर आ रहा है. प्रदूषण को लेकर आज पर्यावरण मंत्री ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. जिसमें स्कूल, दफ्तर, ट्रैफिक वगैरह को लेकर अहम फैसले लिए जा सकते हैं. 

फाइल फोटो

Delhi NCR Pollution: राजधानी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के चलते हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. गुरुवार की शाम तक दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 418 के पार पहुंच गया था. खतरनाक स्थिति को देखते हुए राजधानी में ग्रेप (Grap) का चौथा फेज लागू कर दिया गया है. इसके मुताबिक अब राजधानी में ट्रकों के दाखिले पर पाबंदी रहेगी. सिर्फ जरूरी सामान को ले जाने वाली गाड़ियों को दिल्ली में एंट्री मिल पाएगी. खराब हालत को देखते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज 12 बजे हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग कई अहम फैसले लिए जाने की उम्मीद है. 

मीटिंग क्या-क्या फैसले हो सकते हैं:
➤ दिल्ली में ऑड-ईवन की व्यवस्था को लागू किया जा सकता है
➤ 50% के साथ सरकारी ऑफिस में काम, सरकार वर्क फ्रॉम होम का फैसला भी ले सकती है
➤ प्राइवेट दफ्तरों से भी कम से कम लोगों को दफ़्तर बुलाने पर विचार को कहा जा सकता है 
➤ दिल्ली के स्कूल और कॉलेजों में अनिवार्य ऑनलाइन क्लासेज को मंजूरी मुमकिन

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

डॉ. हर्षल साल्वे
दिल्ली एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एडीशनल प्रोफेसर डॉ. हर्षल साल्वे ने राजधानी की बिगड़ती एयर क्वॉलिटी पर अपनी बात रखते करते हुए कहा कि सीओपीडी और अन्य सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को बाहर जाते समय एन 95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने बाहरी एक्टिविटीज पर फौरन रोक लगाने पर जोर देते हुए कहा कि रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक सभी को बाहर जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है. 

डॉ. पायल चौधरी 
मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में दिग्गज सलाहकार मेटरनिटी और महिलाओं से जुड़ी बीमारियों की एक्सपर्ट डॉ. पायल चौधरी ने कहा कि ऐसी हालत में प्रेग्नेंट महिलाओं को खासा नुकसान होने की उम्मीद है. इस तरह की वजह से सहज गर्भपात, वक्त से पहले प्रसव के जोखिम को बढ़ाता है और तीसरी तिमाही में उजागर होने पर बच्चे के मुर्दा हालत में जन्म लेने के जोखिम को बढ़ा सकता है. पीएम 2.5 के संपर्क में और पीएम 10 के साथ-साथ कार्बन मोनोऑक्साइड और कुकिंग स्मोक वायु प्रदूषण की वजह से गर्भावस्था के दौरान नुकसान की अहम वजहे हैं."

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