क्यों 12 साल बाद लगता है महाकुंभ का मेला? जानिए इतिहास, स्थान और महत्व
Manpreet Singh
Jan 07, 2025
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक ऐसा पर्व है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है.
13 जनवरी 2025 में विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक मेले का आयोजन होने जा रहा है.
12 साल में होने वाला यह मेला गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम तट पर लगता है.
मान्यता के अनुसार इस दौरान संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कुंभ मेले में सभी धर्मों के लोग आते हैं, जिनमें साधु और नागा साधु शामिल हैं, जो साधना करते हैं और आध्यात्मिक अनुशासन के कठोर मार्ग का अनुसरण करते हैं.
कुंभ मेले के दौरान अनेक समारोह आयोजित होते हैं हाथी, घोड़े और रथों पर अखाड़ों का पारंपरिक जुलूस, जिसे 'पेशवाई' कहा जाता है
Significance
महाकुंभ मेला तीर्थयात्रियों के लिए पापों से शुद्ध होने, पुनर्जन्म के चक्र को तोड़ने और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने का समय है.
History and Origin
देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को लेकर भयंकर युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप, इस अमृत की बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक।
Places
हरिद्वार, उत्तराखंड में, गंगा के तट, मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट, नासिक, महाराष्ट्र में गोदावरी के तट, और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर मेला लगता है.
Importance of confluence
महाकुंभ मेले संगम स्नान से आत्मा की शुद्धि होती है। यह माना जाता है कि इस दौरान संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
Disclaimer
इस खबर में दी गई कुछ जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं, इन्हें सामान्य जानकारी के तौर पर लें. ज़ी मीडिया इसकी पुष्टि नहीं करता है.