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देवेंद्र शर्मा/बरनाला: बरनाला में एक समागम में पहुंचे तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार व पंथक तालमेल संगठन के मुखी ज्ञानी केवल सिंह ने अकाल तख्त साहिब के नए जत्थेदार रघुवीर सिंह की नियुक्ति पर सवाल उठाए. उन्होंने बादल परिवार पर लगाए नए जत्थेदार से अपनी गलतियों की माफी मांगने की कोशिश के आरोप गए. इसके साथ ही जत्थेदार की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र प्रक्रिया बनाने की मांग भी की.
इस अवसर पर बात करते हुए ज्ञानी केवल सिंह ने कहा कि सर्वप्रथम श्री अकाल तख्त साहिब व अन्य तख्तों के जत्थेदारों की नियुक्ति, उनके अधिकार व कार्य पद्धति के संबंध में विधी विधान बनाना आवश्यक है. इसी को ध्यान में रखते हुए साल 2000 में श्री अकाल तख्त साहिब के तत्कालीन जत्थेदार जोगिंदर सिंह वेदांती ने एसजीपीसी को तख्त साहिब से जत्थेदार की नियुक्ति के लिए नियमित प्रक्रिया बनाने का आदेश दिया था.
जत्थेदार ने कहा था कि जत्थेदार को पूरी कौम का जत्थेदार बनना है न कि जत्थेदार बनने वाली पार्टी का, जिससे सभी पंथक संगठनों और पूरी कौम को साथ लेकर जत्थेदार के चुनाव को लेकर विधी विधान बनाया जाए, लेकिन बदकिस्मती से जत्थेदार की नियुक्ति के लिए एसजीपीसी अभी तक कोई काम नहीं कर पाई है.
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि एसजीपीसी चलाने वाले अकाल तख्त साहिब को नहीं मानते हैं. अगर एसजीपीसी ने अकाल तख्त साहिब को मान लिया होता तो अब तक वर्ष 2000 के आदेश मान लिए गए होते. उन्होंने कहा कि जत्थेदार को हमेशा ऐसा व्यक्ति नियुक्त किया जाता है, जिससे मनमाना काम कराया जा सके. उन्होंने जत्थेदार रघुवीर सिंह को जत्थेदार बनाए जाने पर असहमति जताई थी.
उन्होंने कहा कि कल एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा था कि कौम की मांग के अनुसार तख्त साहिब का पक्का जत्थेदार लगाना है न कि कार्यकारिणी का, लेकिन क्या ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अकाल तख्त साहिब का स्थाई जत्थेदार नहीं बनाया जा सकता था. एसजीपीसी पर बादल गुट का ही नियंत्रण है, उनकी इच्छा पूरी करने के लिए नया जत्थेदार ढूंढकर लगाया गया है.
उन्होंने कहा कि हमारी किसी से कोई निजी दुश्मनी नहीं है, लेकिन जत्थेदार लगाने के लिए कल जो फैसला लिया गया है उसे कोई स्वीकार नहीं कर सकता. जत्थेदार को पूरे देश और सभी पंथक संगठनों के साथ नियुक्त किया जाना चाहिए. वर्तमान एसजीपीसी की पूरी व्यवस्था चरमरा गई है. एसजीपीसी प्रबंधन झूठ बोलकर पंथ को धोखा दे रहा है.
ज्ञानी केवल सिंह ने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने एसजीपीसी से मांग की थी कि एक निजी चैनल से गुरबाणी का सीधा प्रसारण रोक कर एसजीपीसी अपना चैनल चलाए, जिसके बाद निजी चैनल के मालिक और बादल परिवार की मुश्किल बढ़ गई. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बादल परिवार नवनियुक्त जत्थेदार से माफी मांगना चाहता है.
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