Raksha bandhan: रक्षा बंधन को भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र त्योहार कहा जाता है, लेकिन इस फेस्टिवल को लेकर कई तरह की पौराणिक कहानियां भी हैं, जिनमें कहा गया है कि रक्षा बंधन भाई बहन से पहले पति-पत्नी का त्योहार था.
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Raksha bandhan Story: सावन के मौसम में देखो आई खुशियों की बौछार, बहन के प्यार से सजेगी भाई की कलाई. रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है, लेकिन अगर हम आपको कहें कि इसकी शुरुआत पति-पत्नी ने की है तो शायद ही आप इस बात पर यकीन करेंगे. मगर किस्से-कहानियों की मानें तो एक समय ऐसा था जब रक्षाबंधन भाई-बहन का नहीं बल्कि पति-पत्नी का त्योहार हुआ करता था.
महाभारत से जुड़ी है रक्षाबंधन की कहानी
बता दें, महाभारत में रक्षाबंधंन का एक रोचक प्रसंग है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी का जिक्र है. जब भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र से उस पर प्रहार किया तो वह चक्र शिशुपाल का वध कर वापस श्री कृष्ण की अंगुली में पहुंच गया, लेकिन इस दौरान कृष्ण जी की अंगुली में चोट लग गई और उनकी अंगुली से खून निकलने लगा.
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कृष्ण जी की अंगुली से खून बहता देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक कोना फाड़कर कृष्ण जी की अंगुली में बांध दिया. उस वक्त श्री कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि समय आने पर वो इस साड़ी के एक-एक धागे का ऋृण चुकाएंगे. इसी वचन के अनुसार जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाते हुए उन्हें कई मीटर लंबी साड़ी से ढ़क दिया. कहा जाता है कि जिस दिन द्रौपदी ने श्री कृष्ण की उंगली पर साड़ी का टुकड़ा बांधा था उस दिन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि थी. ऐसे में इस दिन को रक्षा बंधंन कहा जाता है.
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क्यों माना जाता है रक्षाबंधन पति-पत्नी का त्योहार?
पुराण के अनुसार, प्राचीन समय में एक बार दानवों ने देवी-देवताओं पर आक्रमण कर दिया था. इस दौरान देवताओं की सेना दानवों से हारने लगी. देवताओं की हार होती देख देवराज इंद्र की पत्नी शचि घबरा गईं. ऐसे में उन्होंने देवताओं की रक्षा के लिए तप करना शुरू कर दिया. तप करने से उन्हें एक रक्षा सूत्र प्राप्त हुआ, जिसे उन्होंने इंद्र की कलाई पर बांध दिया. इस रक्षा सूत्र से देवताओं की शक्ति बढ़ गई और दानवों की जीत हुई.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.)
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