Pitru Paksha 2024: भारतीय संस्कृति में श्राद्ध का महत्व अत्यधिक है खासकर पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए। श्राद्ध से जुड़े जरुरी नियम जानें...
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने का पहला अधिकार बड़े पुत्र को होता है. यदि बड़ा बेटा जीवित न हो तो छोटा पुत्र श्राद्ध कर सकता है. चाहें तो दोनों भाई मिलकर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं.
हिन्दू धर्म के अनुसार जब परिवार में बेटा न हो, तो यह सवाल उठता है कि श्राद्ध कौन कर सकता है और किस प्रकार से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है
हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है उसकी आत्मा की शांति के लिए हर साल साल पितृ पक्ष में श्राद्ध किया जाता है परिवार द्वारा किया गया श्राद्ध पितरों की आत्मा को शांति दिलाता है और धर्म शास्त्रों के अनुसार पितरों का श्राद्ध बेटा करता है
हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध करने का पहला अधिकार बड़े पुत्र को होता है यदि वह नहीं है घर का दूसरा पुत्र यह नियम कर सकता है अगर घर का बड़ा बेटा नहीं है या उनका निधन हो गया है तो इसकी जगह पर बेटे की पत्नि यानि बहू यह नियम कर सकती है इसके अलावा भाई का पुत्र यानि भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है
अगर बड़े बेटे की शादी हो गई है तो उसे अपनी पत्नी को साथ मिलकर ही श्राद्ध करना चाहिए. इससे पूर्वज खुश होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है
धर्म शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध का अधिकार केवल पुत्र को होता है लेकिन अगर परिवार में केवल पुत्री है तो पुत्री का बेटा यानि नाती भी श्राद्ध कर सकता है इससे आत्मा को शांति मिलती है और वह मुक्त हो जाती है (Disclaimer-यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. जी मीडिया न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.)
ट्रेन्डिंग फोटोज़