हिमाचल में क्यों राजपूतों के अलावा किसी और जाति का सीएम नहीं बन पाता?
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हिमाचल में क्यों राजपूतों के अलावा किसी और जाति का सीएम नहीं बन पाता?

Himachal Assembly Election: हिमाचल में अब तक के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए, तो प्रदेश के कुल 6 मुख्यमंत्रियों में से 5 राजपूत सीएम रहे हैं. ऐसे में इस खबर में जानिए आखिरी क्यों राजपूत या ठाकुर ही बनते है हिमाचल के सीएम. 

हिमाचल में क्यों राजपूतों के अलावा किसी और जाति का सीएम नहीं बन पाता?

Himachal Vidhansabha Election: हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए महज अब कुछ ही दिन बचे हैं. 12 नवंबर को 68 विधानसभा सीटों पर एक फेज में वोटिंग होगी. इस बीच सभी पार्टियां पूरे जोश के साथ चुनावी प्रचार-प्रसार में जुट चुकी हैं. ऐसे में 2022 के चुनाव में प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा. इसपर हर किसी निगाहें बनी हुई हैं. 

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हिमाचल में अब तक के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए, तो प्रदेश के कुल 6 मुख्यमंत्रियों में से 5 राजपूत सीएम रहे हैं. वहीं एक ब्राह्मण उम्मीदवार को भी प्रदेश में दो बार सीएम बनने का मौका मिला. हालांकि वो दोनों ही बार अपना कार्यकाल पूरा कर नहीं पाए. 

बता दें, हिमाचल में 1952 में डॉ. यशवंत सिंह परमार प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. जो 22 साल तक राज्य के मुखिया बने रहे. उनके बाद 6 बार वीरभद्र सिंह, दो बार ठाकुर रामलाल सीएम बने. वहीं, बीजेपी से प्रेम कुमार धूमल दो बार और वर्तमान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एक बार सीएम बने. ऐसे में ये सभी चेहरे राजपूत हैं. इन सब के बीच ब्राह्माण जाति से प्रदेश के केवल शांता कुमार ही मुख्यमंत्री. ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल उठता है कि क्यों केवल प्रदेश में राजपूत ही प्रदेश में सीएम बनते हैं. 

पहले ब्राह्मण जाति से आए शांता कुमार की बात कर लेते हैं. भाजपा से ताल्लुक रखने वाले शांता कुमार कभी भी अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाए. वह हिमाचल के पहले गैर कांग्रेसी और गैर राजपूत सीएम बने. 

अब बात करते हैं, ठाकुर और राजपूत मुख्यमंत्रियों के बारे में. हिमाचल क्षेत्रफल और आबादी दोनों के आधार पर छोटा राज्य है. 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की कुल आबादी में हिमाचल का हिस्सा मात्र 0.57 फीसदी है.  प्रदेश में 50.72 प्रतिशत आबादी सवर्णों की है, जिनमें सबसे अधिक 32.72 फीसदी राजपूत और 18 फीसदी ब्राह्मण हैं. वहीं, 25.22 फीसदी एससी, 5.71 फीसदी एसटी, 13.52 फीसदी ओबीसी और 4.83 प्रतिशत अन्य समुदाय के लोग हैं.  

देखा जाए, तो भाजपा आम तौर पर बड़ी आबादी या प्रभावशाली जाति के व्यक्ति को सीएम नहीं बनाती है. भाजपा ने नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने पर महाराष्ट्र और हरियाणा में सीएम के मामले में नया राजनीतिच प्रयोग किया. हालांकि, हिमाचल में जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनना एक अहम घटना थी, क्योंकि प्रदेश की राजनीति में पिछले तीन दशकों से कांग्रेस में वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल परिवार का दबदबा रहा. 

ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों प्रमुख दलों में सीएम पद के दावेदारों में राजपूतों और ब्राह्मणों में ही सीएम के चेहरे को खोजेंगे. क्योंकि इनकी संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में इसबार बीजेपी के तरफ से तो चेहरा साफ है. अगर बीजेपी यह चुनाव जीत जाती है तो जयराम ठाकुर ही मुख्यमंत्री होंगे. 

आपको बता दें, हिमाचल में अधिकतर विधानसभा कार्यकालों में राजपूत एमएलए जीत कर आते हैं.  68 विधानसभा सीटों पर 30 से ज्यादा एमएलए राजपूत बिरादरी से ही चुने जाते हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों के हाईकमान चाहकर भी राजपूत बिरादरी को नकार नहीं सकते हैं. हालांकि, प्रदेश का अगला सीएम कौन होगा यह 8 दिसंबर को ही साफ होगा. 

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