ऊना में मछली पालन की संभावनाएं आपार ,महिला ने बताया इस व्यवसाय से कैसे कामया 10 लाख रूपये!
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ऊना में मछली पालन की संभावनाएं आपार ,महिला ने बताया इस व्यवसाय से कैसे कामया 10 लाख रूपये!

Una News in Hindi: हिमाचल प्रदेश के ऊना में मछली पालन की आपार संभावनाएं है. वहीं, जिले के रहने वाली रेशमा देवी ने मछली पालन करके 10 लाख रूपये अर्जित किए हैं.  

ऊना में मछली पालन की संभावनाएं आपार ,महिला ने बताया इस व्यवसाय से कैसे कामया 10 लाख रूपये!

Una News: किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा पशु पालन के साथ-साथ मत्स्य पालन को बढ़ाना देने के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है ताकि मछली पालन व्यवसाय से किसानों/मत्स्य पालकों को आर्थिक लाभ मिल सके.  जिला ऊना में मछली पालन व्यवसाय की आपार संभावनाएं है. जिसे जिला के लोगों के लिए मछली पालन का व्यवसाय काफी लाभकारी सिद्ध हो रहा है. 

खेती करने वाले किसान भी मत्स्य पालन व्यवसाय को अपनाकर अपनी आर्थिक को सुदृढ़ करके आत्मनिर्भर बन रहे है. ऊना के बंगाणा ब्लॉक के गांव चौकी मन्यिार की रेशमा देवी ने मछली पालन व्यवसाय को अपनाकर अपने और अपने परिवार के स्वरोजगार के साधन सृजित किए. रेशमा देवी के मुताबिक, वह परिवार का पालन पोषण करने के लिए सिलाई का काम और पति खेतीबाड़ी का काम करते थे.  उन्होंने कहा कि सिलाई और खेतीबाड़ी के कार्य से घर का खर्च चलाना मुश्किल होता था.  परिवारिक आय को बढ़ाने के लिए कुछ नया करने के बारे में सोचा.  गांव में उनके पास पर्याप्त मात्रा में जमीन होने के चलते उन्होंने मछली पालन व्यवसाय को शुरू करने का मन बनाया जिसके लिए उन्होंने मत्स्य विभाग के अधिकारियों के साथ सम्पर्क किया. 

रेशमा देवी ने बताया कि मत्स्य विभाग के अधिकारियां ने उन्हें मछली पालन व्यवसाय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी और बताया कि सरकार द्वारा भी मछली पालन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी. रेशमा देवी ने साल 2018-19 में 600 वर्ग मीटर के छोटे यूनिट में मछली पालन का कार्य आरंभ किया. इस यूनिट से मछली का अच्छा उत्पादन हुआ. इसी को मध्यनज़र रखते हुए उन्होंने वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत एक हज़ार वर्ग मीटर में बायोफ्लॉक(तालाब) बनाने के लिए आवेदन किया. 

एक हज़ार वर्ग मीटर वाले बायोफ्लॉक(तालाब) की कुल लागत 14 लाख रूपये थी.  इस बायोफ्लॉक को तैयार करने के लिए रेशमा देवी को विभाग की ओर से 60 प्रतिशत यानि 8.40 लाख रूपये की राशि उपदान के रूप में मिली.  शेष 40 प्रतिशत राशि खुद व्यय की. 
रेशमा देवी ने बताया कि इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए उनके पति उनका पूरा सहयोग कर रहे हैं. 

बता दें, कि गत वर्ष उन्होंने तालाब में कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प व ग्रास कॉर्प का बीज डाला था, जिससे उन्हें 7 टन मछली का उत्पादन हुआ और 10 लाख रूपये की आय अर्जित की. रेशमा देवी के पति सुभाष चंद ने बताया कि वर्तमान में भी ट्राउट, कत्तला सहित कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प व ग्रास कॉर्प का बीज डाला है.   चार से छः माह के अंतराल में ही तालाब में डाली गई मछलियां लगभग 300 से 500 ग्राम वजन तक पहुंच चुकी हैं. 

रेशमा देवी और सुभाष चंद ने बेरोजगार/शिक्षित युवाओं से आग्रह किया कि वे भी सरकार के माध्यम से पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्र में संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ लेकर अपने लिए स्वरोजगार के साधन सृजित कर सकते हैं. 

रेशमा देवी को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत बायोफ्लॉक तालाब बनाने के लिए 60 प्रतिशत अनुदान राशि प्रदान की गई है.  उन्होंने बताया कि एससी वर्ग और महिलाओं के लिए 60 प्रतिशत तथ सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत की दर से अनुदान राशि प्रदान की जाती है. बायोफ्लॉक तालाब सघन मछली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है. जबकि 1 हज़ार वर्ग मीटर के कच्चे तालाब में मुश्किल से केवल 10 क्विंटल तक मछली का उत्पादन किया जा सकता है. 

लेकिन बायोफ्लॉक तालाब से प्रतिवर्ष लगभग 10 टन मछली का उत्पादन किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि कुछ समय के उपरांत मछली उत्पादन के लिए प्रयोग में लाए जा रहे पानी को बदलना पड़ता है क्योंकि मछली के मल-मूत्र से पानी खराब हो जाता है, लेकिन इस पानी को किसान अपने खेतों में प्रयोग कर सकते हैं जोकि एक खाद का कार्य करता है. खेतों में सिंचाई के लिए आम पानी की खपत ज्यादा होता है जबकि मछली पालन के प्रयोग में लाए गए पानी की खपत कम होती है और ज्यादा समय तक खेतों में टिका रहता है और फसलों का उत्पादन भी ज्यादा होता है. 

उन्होंने किसानों से आहवान करते हुए कहा कि जो भी किसान मछली पालन व्यवसाय को अपनाना चाहता है तो वह सरकार योजनाओं के तहत लाभ ले सकते हैं.  यदि किसानों को मछली पालन के लिए मछली के बच्चें और फीड की आवश्यकता हो तो वह विभाग के सरकारी मछली फार्म दियोली जोकि गगरेट उपमंडल में स्थित है.

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