Una BJP News: हिमाचल प्रदेश में प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक हुई. बैठक में विधायक रणधीर शर्मा ने राज्य की सुक्खू सरकार पर जमकर निशाना साधा.
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Una News: उत्तर प्रदेश के बाद अब हिमाचल प्रदेश में भी प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में मंथन का दौर जारी है. इसके लिए ऊना में गुरुवार से दो दिन की बैठक शुरुआत हुई. दूसरे दिन शुक्रवार को बैठक पहाड़ी और पंजाबी संस्कृति रंग में रंगी नजर आई.
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन के पहले अध्याय की जानकारी देते हुए विधायक रणधीर शर्मा ने कई अहम विषयों पर चर्चा की. उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर हमलावर होते हुए हर मोर्चे पर फेल रहने का दावा किया.
रणधीर शर्मा ने कहा कि 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की गारंटी देकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा दी जा रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली की सुविधा तो बंद कर ही दी. साथ ही बिजली की दरों में बढ़ोतरी करके जनता पर बोझ डालने का काम किया.
औद्योगिक क्षेत्र में तो बिजली की दरों में 2 प्रतिशत से 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई. यही नहीं इस सरकार ने डीजल सात रुपये लीटर मंहगा किया, बस किराया बढ़ाया तथा हिमाचल की बसों में महिलाओं को किराये में मिल रही 50 प्रतिशत की छूट भी बंद कर जनता के हितों के साथ खिलवाड़ किया.
भाजपा सरकार में शुरू की गई मुफ्त स्कूली वर्दी योजना को भी सुक्खू सरकार ने बंद कर दिया और अब मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप भी देने बंद कर दिए, जिसकी भारतीय जनता पार्टी की यह कार्यसमिति कड़ी निंदा करती है. प्रदेश भाजपा हिमाचल की कांग्रेस सरकार को कर्मचारी विरोधी भी मानती है. जिस ओ.पी.एस. को लागू करके सरकार अपनी पीठ थपथपाती है. बिजली बोर्ड के हजारों कर्मचारी उससे वंचित रखे गए हैं और 120 कर्मचारी पिछले एक साल में बिना ओ.पी.एस. का लाभ लिए रिटायर भी हो गए.
यही नहीं नगर निगम में भी कर्मचारी ओ.पी.एस. के लिए संघर्ष कर रहे हैं. प्रदेश के कर्मचारियों के पे-कमीशन के एरियर का 9000 करोड़ रूपए बकाया है और सेवानिवृत कर्मचारियों की ग्रेच्युटी, लीव-इन-कैशमैंट, मेडिकल बिल तथा अन्य एरियर की भी 20 हजार करोड़ रूपये की देनदारी बनती है.
माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद भी सातवें वेतन आयोग की किश्त बंद कर दी. यही नहीं इस सरकार पर बदला-बदली और अत्याचार की नीति पर चलने का भी आरोप है, जिसके अंतर्गत भाजपा कार्यकर्ताओं, समर्थकों और यहां तक कि मतदाताओं को भी अलग-अलग ढंग से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिसका प्रदेश कार्यसमिति कड़ा विरोध करती है.
भाजपा वर्तमान सरकार द्वारा मीडिया पर एफआईआर दर्ज करने के मामले को तानाशाही पूर्ण मानते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया का गला घोंटने के प्रयासों की भी कड़ी निंदा करती है.
भाजपा का यह भी आरोप है कि पिछले वर्ष हुई प्राकृतिक आपदा से निपटने में यह सरकार पूर्णतः नाकाम रही है. केन्द्र सरकार ने अलग-अलग समय में आपदा राहत राशि के रूप में 1782 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की और 251 करोड़ रुपये जनता ने आपदा राहत कोष में जमा करवाए. 11,000 मकान भी केन्द्र की मोदी सरकार ने उपलब्ध करवाए, लेकिन यह सरकार इस 2033 करोड़ रुपये की राशि को भी खर्च नहीं कर पाई, जो राहत राशि आपदा प्रभावितों में बांटी गई, उसमें बड़े पैमाने पर भाई-भतीजा वाद और भ्रष्टाचार हुआ.
वास्तविक प्रभावितों को अभी तक भी पूरा मुआवजा नहीं मिला है. भूमिहीन को भूमि नहीं मिली. सुक्खू सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज भी मात्र कागजों तक ही सीमित रहा. आपदा से क्षतिग्रस्त व प्रभावित हुई सड़कों की मरम्मत तक का कार्य अभी नहीं हो पाया है और आगे फिर बरसात शुरू हो गई है.
रिपोर्ट- राकेश मालही, ऊना