Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा सहित कांग्रेस के पूर्व बागी विधायक भी शामिल हुए जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं. इस दौरान उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने की वजह बताई.
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अरविंदर सिंह/हमीरपुर: कभी भाजपा का गढ़ तो कभी राजनीति और सत्ता का केंद्र कहा जाने वाला हमीरपुर एक बार फिर सियासत का सेंट्रल प्वॉइंट बन गया है. हमीरपुर के गांधी चौक पर आज भाजपा में शामिल होने के बाद सुजानपुर से पूर्व विधायक राजेंद्र राणा, बड़सर के पूर्व विधायक इंद्रदत्त लखनपाल और हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा ने विशेष रैली का आयोजन किया
इस रैली में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सहित पार्टी के सभी पूर्व विधायकों समेत बड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे. रैली के दौरान भाजपा नेताओं ने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अनुराग ठाकुर को पांचवीं बार 5 लाख से अधिक मतों से जीतने का संकल्प लिया, वहीं विधानसभा उपचुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा घोषित किए गए पार्टी उम्मीदवारों को जीतने की बात कही.
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हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री की पूरी शिक्षा शिमला में हुई है. उन्होंने राजनीति के गुण भी शिमला में ही सीखे हैं. वह सिर्फ चुनाव लडने के लिए नादौन आते थे. उन्होंने कहा कि उन्हें मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ा है. मुख्यमंत्री द्वारा उनके कार्य नहीं किए जा रहे थे. उन्होंने लोकतंत्र की हत्या की है. आशीष शर्मा ने दावा करते हुए कहा कि भगवान और जनता का आशीर्वाद रहा तो केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के साथ ही हिमाचल में भी भाजपा सरकार बनेगी.
वहीं, सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उपचुनाव प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने कहा कि निर्दलीय विधायक अपना इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन क्या कारण है कि इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पार्टी के विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं तो इस पर मुख्यमंत्री को विचार करना चाहिए. आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि कांग्रेस का साथ छोड़कर विधायक भाजपा में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सही ढंग से सरकार नहीं चला पा रहे हैं. इसी वजह से विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं.
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इनके अलावा बड़सर से भाजपा प्रत्याशी इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि राम मंदिर में राम लला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण प्रदेश सरकार ने ठुकरा दिया था. उन्होंने इसी दौरान ठान लिया था कि अब इस पार्टी में नहीं रहना है. लखनपाल ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों की समस्याओं के मुद्दों को सरकार के समक्ष रखा, लेकिन उनका हल करने की बजाय पाइपलाइन में डाल दिया गया. हर बार एक ही बात दोहराई गई कि बजट की कमी है. जनता हमसे उम्मीद लगाए बैठी थी, लेकिन सरकार ने हमारे सुझावों और मांगों को दरकिनार कर दिया. इस कारण अंत में पार्टी छोडने का फैसला लेना पड़ा. आज वह देश की मजबूत पार्टी के साथ जुड़े हैं.
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