Rampur के किसान मजदूर भवन में किया गया किसान सभा के राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन
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Rampur के किसान मजदूर भवन में किया गया किसान सभा के राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन

Himachal Pradesh News: रामपुर में सेब उत्पादक संघ का राज्य स्तरीय सम्मेलन हुआ. इस दो दिवसीय सम्मेलन में सेब उत्पादकों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा हुई और रणनीति बनाई गई. इस दौरान सेब उत्पादकों ने आरोप लगाया कि किसानों की सब्सिडी बंद करके बड़े उद्योगपतियों को कोल्ड स्टोर लगाने के लिए मोटी सब्सिडी दी जा रही है. 

 

Rampur के किसान मजदूर भवन में किया गया किसान सभा के राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन

विशेश्वर नेगी /रामपुर: हिमाचल प्रदेश के रामपुर के पास चाटी के किसान मजदूर भवन में सेब उत्पादक संघ संबंधित किसान सभा का राज्य स्तरीय सम्मेलन हुआ. सम्मेलन के दौरान कई राज्य व राष्ट्रीय स्तर के किसान नेता उपस्थित हुए. इस दौरान सेब उत्पादकों की विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई और भविष्य में इस पर क्या कदम उठाए जाने चाहिए इस पर भी रणनीति बनाई गई. सम्मेलन में सेब उत्पादक संघ की राज्य स्तरीय नई टीम का भी गठन किया गया.
 
सम्मेलन में बताया गया कि सेब उत्पादन अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में दुनिया का बेस्ट सेब उत्पादन किया जाता है, लेकिन आज भी एपीएमसी एक्ट को ईमानदारी से लागू न करने के कारण मंडी में बागवान की लूट होती है और आढ़ती का बोलबाला होता है. इस सम्मेलन में चर्चा के दौरान किसानों ने बताया कि एमआईएस का पिछला बकाया करीब 91 करोड़ रुपये सरकार ने अभी तक बागवानों को नहीं दिया है. 

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उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को जो कृषि एवं बागवानी उपकरण मुहैया करवाए जाते हैं वह महंगे और घटिया किस्म के होते हैं. किसानों की सब्सिडी बंद कर दी गई है और सेब कारोबार में आए बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की नियत से कोल्ड स्टोरेज खोलने के लिए उन्हें मोटी सब्सिडी दी जा रही है. इस तरह से किसान आज संकट के दौर से गुजर रहा है. उन्होंने बताया कि सरकार ने सेब किलो के हिसाब से बेचने की बात कही थी, लेकिन वह धरातल पर सही नहीं उतरा. पैकेजिंग कॉटन 20 किलो की कौन तय करेगा, इसे लेकर भी सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है. देश के अंदर सिर्फ एक संस्था को यह मापदंड तय करने का अधिकार है.  

वहीं, पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने बताया कि  सेब उत्पादक संघ का यह पहला राज्य स्तरीय सम्मेलन हुआ है. इसके बाद 18 व 19 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन होगा, जिसमें सेब उत्पादकों की समस्याओं व अन्य विषयों पर चर्चा होगी और रणनीति बनेगी. उन्होंने बताया कि आज हिमाचल का सेब उत्पादक संकट के दौर से गुजर रहा है. मंडी में आढ़तियों का बोलबाला है. सेब पैकेजिंग मापदंड भी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग के माध्यम से तय किए जाने चाहिए, लेकिन सरकार आईआईटी मंडी को यह जिम्मा दे रही है.

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सोहन ठाकुर किसान सभा राज्य अध्यक्ष ने बताया कि सेब उत्पादकों का 2 दिन से सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. इसमें विस्तार से चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि सेब उत्पादन घाटे का सौदा बनता जा रहा है. सरकार की नीतियां बागवान विरोधी हैं. बागवानों को दवाइयों और खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी है और बड़े उद्योगपतियों को कोल्ड स्टोरेज लगाने के लिए मोटी सब्सिडी दी जा रही है. 

हिमाचल सेब उत्पादक संघ के सचिव ने बताया कि किसान मजदूर भवन चाटी में दो दिवसीय जो सम्मेलन हुआ है, उसमें 18 ब्लॉकों के डेलिगेट्स ने अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखा. उन्होंने बताया कि पिछले साल का सरकार ने 91 करोड़ रुपये बागवानों को अभी तक नहीं दिए हैं. एपीएमसी एक्ट में लचरता के कारण बागवानों को नुकसान और आढ़तियों को लाभ हो रहा है.

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