Bilaspur News: बिलासपुर जिला के घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्मानी ने यूथ ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट सेंटर घुमारवीं के नए भवन का उद्घाटन किया. साथ ही तीनों विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत का दावा किया.
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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी बिलासपुर जिला के घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने 35 लाख रुपये से बने यूथ ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट सेंटर के नवनिर्मित भवन का उदघाटन किया. गौरतलब है कि राज्यसभा सदस्या आनंद शर्मा ने इस भवन के निर्माण के लिए अपनी सांसद निधि 35 लाख रुपये स्वीकृत किए थे, जिसका निर्माण कार्य पूरा कर कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने आज उद्घाटन किया है. इस दौरान नगर परिषद घुमारवीं अध्यक्ष रीता सहगल सहित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे.
वहीं राजेश धर्माणी ने हमीरपुर, नालागढ़ और देहरा विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत का दावा करते हुए कांग्रेस सरकार द्वारा तीनों विधानसभा क्षेत्रों का विकास करने की बात कही. राजेश धर्माणी का कहना है कि तीन निर्दलीय विधायक चाहते तो किसी भी पार्टी को अपना समर्थन दे सकते थे, लेकिन भाजपा ने इन तीनों विधायकों को अपने ट्रेप में फंसाकर उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था और तीनों ही निर्दलीय विधायक राजनीतिक नासमझी के चलते इस ट्रेप में फंस गए और अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. एक तरफ तो ये तीनों निर्दलीय विधायक अपना पद खो बैठे, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने लोगों के साथ विश्वासघात करने का काम किया है, जिसका जबाव जनता वोट की चोट से देगी.
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राजेश धर्माणी ने कहा कि भाजपा के एक गुट द्वारा बड़े नेता के इशारे पर कांग्रेस के छह विधायकों सहित तीन निर्दलीय विधायकों को पार्टी में शामिल कर एक तीर से दो निशाना साधना चाह रहे थे, जिसमें एक तरफ प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराना चाहते थे तो दूसरी तरफ धूमल गुट को नीचे लगाना चाहते थे, लेकिन यह गुट ना सरकार को गिरा पाई और ना ही अनुराग ठाकुर को हरा पाने में कामयाब हो पाई, जिससे इनका षड़यंत्र फेल साबित हुआ.
वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर के देहरा से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने पर भाजपा नेताओं द्वारा परिवारवाद के आरोपों पर पलटवार करते हुए मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि भाजपा खुद परिवारवाद को बढ़ावा देते हुए अपने ही नेताओं के परिवार के दो से तीन सदस्यों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट देती आई है. इसके बावजूद परिवारवाद के मामले पर कांग्रेस पार्टी को कोसने से पीछे नहीं हटती, इसलिए भाजपा नेताओं को बयानबाजी से पहले आत्मचिंतन की जरूरत है.