Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में आई बरसात के बाद भारी तबाही हुई है. यहां जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है. इस बरसात के कारण टमाटर की फसल नष्ट हो गई और बचे हुए टमाटर बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
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ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में बारिश का दौर गुजर जाने के बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. क्षेत्र के अधिकतर लिंक रोड अभी भी बंद हैं, जिसकी वजह से किसानों को नकदी फसलें और अन्य सामान पीठ पर ढ़ोकर मुख्य सड़कों तक पहुंचाना पड़ रहा है. दूसरी और जिम्मेदार विभाग हालात को सामान्य करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है.
गिरिपाठ क्षेत्र में जनजीवन अभी भी अस्त-व्यस्त
सिरमौर जिले के गिरिपाठ क्षेत्र में जनजीवन अब भी पटरी पर नहीं लौट पाया है. भारी बरसात ने ऐसे जख्म दिए हैं कि एक सप्ताह बाद भी क्षेत्र के लोग 18 वीं शताब्दी जैसे हालात से जूझ रहे हैं. क्षेत्र में अभी भी जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है. क्षेत्र की कई सड़के 9 दिनों बाद भी नहीं खुल पाई हैं. सड़के बंद होने के कारण सबसे ज्यादा नुकसान क्षेत्र के किसानों को उठाना पड़ रहा है.
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आखिरी समय पर खत्म हुई टमाटर की फसल
इस समय लगभग सभी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टमाटर की फसल अंतिम दौर में थी, लेकिन बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया. खेतों में खड़ी फसल को बारिश ने नष्ट कर दिया है जबकि बची कुची फसल सड़कें बंद होने की वजह से मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है. नोहराधार, शिलाई, कफोटा, हरिपुरधार, क्षेत्रों से आलू व फ्रांसबीन, मूली, धनिया, टमाटर आदि का सीजन पीक पर है, लेकिन इन फसलों को मंडियों तक न पहुंचने से किसानों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है. रुक-रुक कर हो रही बारिश और बंद सड़कों की वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
वहीं, गत्ताधार क्षेत्र के तांदियो, खीजवाडी, देवललाह, मानल, रिनोई, कलोना, रीठ, अवाठा, सांगना, नाया पंजोड हलाह और लोजा मानल गांव में टमाटर की तैयार फसल को लोग पीठ पर उठाकर चार से पांच किलोमीटर का सफर तय करके सड़क तक पहुंचा रह हैं. क्षेत्र में ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं कि महिलाओं व बच्चों को भी टमाटर की भारी पेटियां सिर और कंधे पर उठाकर सड़क तक पहुंचानी पड़ रही है.
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पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों ने हिमाचल प्रदेश सरकार व लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, जिला प्रशासन व विभाग से मांग की है कि क्षेत्र की सड़कों को शीघ्र अति शीघ्र खोला जाए ताकि किसान अपनी नगदी फसल मंडियों तक आसानी से ले जा सकें.