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विपिन कुमार/धर्मशाला: कृषि क्षेत्र में लाल चावल की बात न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. लाल चावल सेहत के लिए बेहतर माने जाते हैं, लेकिन लाल चावल उत्पादकों को मार्केटिंग के लिए काफी समस्या सामने आती है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के तहत कृषि विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों के चलते किसानों को लाल चावल के उत्पाद के अच्छे दाम मिल सकते हैं. इसके लिए योजना के तहत किसानों को फार्मर प्रोडयूसर आर्गेनाइजेशन यानी किसान उत्पादक संगठनों का गठन करना होगा.
कोरोना काल की बात करें, तो जैसे ही विशेषज्ञों ने इसके गुणों बारे जानकारी दी तो, लाल चावल खरीदने के लिए लोगों की होड़ सी लग गई. कोरोना काल में कई लोगों ने खेती की ओर रुख किया, ऐसे में जिन्हें लाल चावल के गुणों का ज्ञान था. ऐसे किसानों ने लाल धान की खेती करके लाल चावलों को ऑनलाइन भी बेचा. वहीं कई ऐसे उत्पादक हैं, जिनके पास क्विंटल के हिसाब से लाल चावल की पैदावार है, लेकिन मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं है. अब मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के तहत ऐसे किसानों को राहत प्रदान करने की बात कह रहा है.
विशेषज्ञों की मानें, तो लाल चावल सेहत के लिए बेहतर हैं तथा इसमें कई रोगों से लड़ने की भी क्षमता है. ऐसे में लोगों में लाल चावल के प्रति रुझान तो बढ़ा है, लेकिन किसानों के उत्पाद के मार्केटिंग की उचित व्यवस्था नहीं है. कृषि विभाग की मानें, तो मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के तहत फार्मर प्रोडयूसर आर्गेनाइजेशन का गठन करने से किसानों की फसलों, मार्केटिंग संबंधी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा.
कृषि विभाग के उत्तरी क्षेत्र धर्मशाला के संयुक्त निदेशक डा. जीत सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के अंतर्गत जगह-जगह कृषि उत्पादक संगठन बनाने की बात कही गई थी, जिसके माध्यम से किसानों को विशेष फसल की प्रोडक्शन व उसकी मार्केटिंग से संबंधित क्या समस्याएं आ रही हैं, उन समस्याओं का निवारण करने के लिए कृषि उत्पादक संगठन बनाने को कहा गया है. योजना के तहत सरकार की ओर से 30 फीसदी आर्थिक अनुदान देने, जिसमें अधिकतम 6 लाख रुपये तक अनुदान देने की व्यवस्था की गई है.
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कृषि विभाग का प्रयास है कि जहां भी लाल धान की खेती की जा रही है, वहां पर कृषि उत्पादक संगठन का गठन किया जाए. जिला कांगड़ा में धर्मशाला ब्लाक के अंतर्गत कृषि उत्पादक संगठन का गठन किया गया है. योजना के तहत भविष्य में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों को मार्केटिंग की समस्या न आए और उचित दाम मिल सके. लाल धान में स्वास्थ्य संबंधी विशेष गुण रहते हैं, जिसके चलते इसके प्रति विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कृषि विभाग की ओर से जो प्रयास किए जा रहे हैं, उससे संभावना जताई जा रही है कि लाल धान उत्पादकों को मार्केटिंग की समस्या से दो-चार न होना पड़े.
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