Himachal HC News: हिमाचल हाई कोर्ट की डिवीजन बैंच से जंगी थोपन प्रोजेक्ट पर हिमाचल सरकार को राहत मिली है. हिमाचल सरकार को अडाणी को 280 करोड़ की अपफ्रंट मनी नहीं लौटाने के आदेश दिए हैं.
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Shimla News: हिमाचल हाईकोर्ट ने जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना से जुड़े मामले में हिमाचल सरकार को अडाणी को 280 करोड़ की अपफ्रंट मनी नहीं लौटाने के आदेश दिए हैं.
हिमाचल हाई कोर्ट की डिवीजन बैंच से जंगी थोपन प्रोजेक्ट पर हिमाचल सरकार को राहत मिली है. वहीं, अडाणी पॉवर कॉर्पोरेशन को झटका लगा है. ऐसे में अब सरकार अडाणी समूह को 280 करोड़ की प्रीमियम राशि नहीं लौटाएगी.
जंगी थोपन पॉवर प्रोजेक्ट को लेकर सरकार को राहत
प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बैंच ने सिंगल बैंच के फैंसले को पलटते हुए सरकार के हक में फैसला सुनाया है. जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और बिपिन चन्द्र नेगी की डिवीजन बैंच ने अदाणी समूह को 280 करोड़ रुपए की प्रीमियम राशि लौटाने के सिंगल बैंच के फैसले को रद्द कर दिया है और कहा है कि अदाणी समूह इसका हकदार नहीं है.
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अदाणी समूह ने कोर्ट में विचाराधीन मामले में बैक डोर से प्रोजेक्ट में इनवेस्ट किया जो कि प्रोजेक्ट के करार के ख़िलाफ है. ऐसे में अदाणी समूह को प्रीमियम राशि नहीं लौटाई जाएगी. सरकार ने प्रोजेक्ट का करार ब्रेकल कंपनी के साथ किया था, लेकिन कंपनी ने फ्रॉड करके फर्जी दस्तावेज पर प्रोजेक्ट हासिल किया था, जो करार के खिलाफ पाया गया और बिना सरकार की सहमति से अदाणी समूह को प्रोजेक्ट का मेंबर बना लिया. ऐसे में ब्रेकल कंपनी भी प्रीमियम राशि की हकदार नहीं है.
जानकारी के लिए बता दें, हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को आदेश दिए थे कि दो महीने में राशि वापस करें नहीं तो सालाना 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी. वहीं, एकल पीठ के इस फैसले को सरकार ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी.
हिमाचल सरकार ने अक्टूबर 2005 में 980 मेगावाट की इस हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के संबंध में टेंडर निकाले. ब्रैकल कॉरपोरेशन को सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. इसे देखते हुए कंपनी ने प्रीमियम के तौर पर 280 करोड़ सरकार के पास जमा किए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने यह टेंडर ब्रैकल कंपनी के साथ किया. बाद में तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने परियोजना रिलायंस कंपनी को देनी चाही. 15 सितंबर 2016 को रिलायंस कंपनी ने परियोजना निर्माण से इनकार कर दिया. उसके बाद सरकार ने परियोजना को पीएसयू में देने का फैसला लिया था.
अब इस परियोजना का निर्माण एसजेवीएनएल कर रही है. हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता अनूप रत्न ने कहा कि ब्रैकल कंपनी ने धोखाधड़ी से सरकार से यह कान्ट्रैक्ट लिया था. सरकार का अडाणी कंपनी के साथ कोई करार नहीं हुआ. ब्रैकल ने अडाणी से पैसा लिया था, इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है. उन्होंने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.
रिपोर्ट- समीक्षा कुमारी, शिमला