Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में किसान और मजदूर राज्य सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन आने वाले 3 दिन तक चलेगा. धरना कर रहे लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
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समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश के किसान और मजदूर राज्य सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं. प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रदेशभर से बड़ी संख्या में लोग शिमला पहुंच रहे हैं. सीटू के बैनर तले यह महा धरना अगले 3 दिन तक चलेगा. इस धरने में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हैं.
धरने में शामिल लोगों ने केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. किसान व मजदूर एक दर्जन से ज्यादा मांगों को लेकर हल्ला बोल रहे हैं. केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत वर्क प्लेस पर ऑनलाइन हाजिरी अनिवार्य कर दी है, लेकिन कई दुर्गम इलाकों में नेटवर्क ना होने की वजह से हाजिरी नहीं लग पा रही. इससे मनरेगा मजदूरों को दिहाड़ी नहीं मिल पा रही है.
वहीं, मनरेगा मजदूर इस योजना के तहत साल में 200 दिन रोजगार देने और मनरेगा के तहत न्यूनतम दिहाड़ी 375 रुपये करने की मांग कर रहे हैं. इस प्रदर्शन के माध्यम से किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य और स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने की मांग कर रहे हैं.
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ये हैं किसानों और मजूदरों की मांगें
- 44 श्रम कानूनों को खत्म करके बनाए गए मजदूर विरोधी 4 लेबर कोड को रद्द करना.
- किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुविधा देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू करने और किसानों के कर्ज को माफ करने की मांग.
- न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये घोषित करने व केंद्र और राज्य में एक समान वेतन देने की मांग.
- बिजली विधेयक-2022 को वापस लेने और स्मार्ट मीटर योजना रद्द करने की मांग.
- हिमाचल प्रदेश की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग.
- आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा व अन्य योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने और नई शिक्षा नीति वापस लेने की मांग.
- कॉर्पोरेट घरानों को फायदा देने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वापस लेने की मांग.
- नौकरी से निकाले सैकड़ों कोविड-19 कर्मचारियों को वापस लेने की मांग.
- इसी तरह मनरेगा मजदूर इस योजना के तहत साल में 200 दिन रोजगार देने और मनरेगा के तहत न्यूनतम दिहाड़ी 375 रुपये करने की मांग कर रहे हैं.
- इस प्रदर्शन के माध्यम से किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य और स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने की मांग कर रहे हैं.
- सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश और निजीकरण बंद करने की मांग.
- सभी मजदूरों को EPF, ESI, ग्रेच्युटी, नियमित रोजगार, पेंशन और दुर्घटना लाभ आदि सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की मांग.
- दूध का समर्थन मूल्य 40 रुपये प्रति लीटर घोषित करने की मांग.
- मनरेगा में 200 दिन का रोजगार 375 रुपये दिहाड़ी लागू करने की मांग.
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