भारत की इन वास्तुकलाओं को देख मुगल और अंग्रेजों की भी की आंखे आ गई थी बाहर, कलाकारी देख आज भी चौंकते हैं लोग
Zee News Desk
Aug 08, 2024
भारतीय वास्तुकला
भारतीय इतिहास में कुछ ऐसे निर्माण हुए हैं जिनको अगर आज के समय में भी बनाने की कोशिश की जाए तो संभव न हो, तो आइए जानते हैं उन निर्माणों के बार में जिसने सबको किया हैरान-परेशान.
कल्लनई बांध
इसका निर्माण 2000 साल पहले राजा करिकालन ने करवाया था और यह दुनिया के सबसे पुराने डैम में से एक है जो आज भी उपयोग में है आज भी यह बांध 13,20,116 एकड़ जमीन की सिंचाई करता है.
बृहदेश्वर मंदिर
इसका निर्माण 1010 ईस्वी में राजा राज चोल ने करवाया था. बिना नींव के इस मंदिर की उंचाई 66 मीटर है और यह पूरी तरह से ग्रैनाइट पत्थरों से बनने वाला दुनिया का इकलौता निर्माण है.
कैलाश मंदिर
इसका निर्माण राजा कृष्ण प्रथम ने वर्ष 756 में कराया था. 2 लाख टन चट्टान को काट कर बना ये मंदिर उपर से नीचे की ओर बनाया गया है और इसे बनने में मात्र 18 वर्ष का समय लगा था.
लेपाक्षी मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में राजा अच्युतराय ने कराया था. इस मंदिर की खासियत है लटकते स्तंभ जो गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देने वाला आकर्षण है. स्तंभ छत से आंशिक रूप से अलग लगता है जिससे एक छोटा सा अंतर बनता है.
विठ्ठल मंदिर
विट्ठल मंदिर के संगीतमय स्तंभ लोगों को हैरत में डाल देते हैं. सभी स्तंभ एक ही पत्थर से तराशे गए हैं और उस पर प्रहार करते समय वह अलग-अलग संगीत निकालते है.
रानी की वाव
यह एक सीढ़ीदार कुआं है जो जल संसाधन और आध्यात्मिक स्थान के रूप में जाना जाता है. रानी उदयमती ने अपने पति की याद में इसे निर्मित कराया था.
रामनाथस्वामी मंदिर
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ये मंदिर 15 एकड़ में फैला है जिसका मुख्य आकर्षण है ग्रैनाइट के बने 1212 खंभे जो एक सीधी लाइन में बनाए गए हैं.
लौह स्तंभ
इस स्तंभ का निर्माण चंद्रगुप्त द्वितीय ने 1600 साल पहले कराया था और लोहे का होने के बावजूद आज तक इस स्तंभ में जंक नहीं लगा जो इसे बहुत खास बनाता है.