मुगल बेगमों को बिना कुछ किए ही क्यों मिल जाते थे खूब सारे पैसे

Shwetank Ratnamber
Aug 29, 2023

मुगल न्यूज़

मुगल हरम में रहने वाली हर महिला को आखिर क्यों दी जाती थी शाही रकम, आइए बताते हैं.

हरम में बटती थी तनख्वाह

आज कम लोग ऐसे हैं, जिन्हें मुगल बेगमों और दासियों से जुड़े सीक्रेट्स के बारे में पता होगा. इसलिए आज आपको हरम में रहने वाली औरतों की सैलरी से जुड़े रोचक तथ्यों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें मुगल बादशाह हर महिला को देते थे.

बाबर बंटवाता था सैलरी

कहा जाता है कि हरम से लेकर महल में मौजूद हर महिला को वेतन दिया जाता था. इतिहास के अनुसार महिलाओं को वेतन देने की शुरुआत बाबर ने की थी.

बिना कुछ किए मिल जाती थी मोटी रकम

बेगमों-शहजादियों को सैलरी दी जाती थी, जिसमें जागीरों से कमाई शामिल होती थी. कुल सैलरी में से आधा पैसा कैश दिया जाता था. बाकी रकम जागीरों और चुंगियों से आए टैक्स से हुई इनकम से दिया जाता थी.

कोई ठोस वजह नहीं

सैलरी या भत्ता जो भी नाम दें इस रकम को महिलाओं को देने के पीछे कोई ठोस वजह साफ नहीं है. हालांकि कहा जाता है कि महिलाओं को वेतन उनकी आजीविका भत्ता के अनुसार दिया जाता था ताकि वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें.

इनको मिलता था मोटा पैकेज

अकबरनामा में लिखा है कि बादशाह बेगमों, बेटियों को पैसा देते थे ताकि अपना श्रृंगार या अपनी जरूरत के हिसाब से पैसा खर्च कर सकें. जहांआरा की सैलरी करोड़ों में थी. वहीं जैबुन्निसा बेगम को सालाना 4 लाख रुपये दिए जाते थे.

बिजनेस से भी कमाती थीं

मुगल बेगमें बिजनेस से भी कमाती थीं, जिनमें जहांगीर की पत्नी नूरजहां सबसे आगे मानी जाती है.

बिना कुछ किए ऐसे होती थी कमाई?

इसके अलावा भी कहा जाता है कि बादशाह समय-समय पर महिलाओं को बेशकीमती तोहफे, ज्वैलरी और अन्य मोटी रकम कैश भी दे देते थे. इस तरह बिना कुछ किए वो तगड़ी कमाई कर लेती थीं.

हरम के रखवाले किन्नरों को मिलता था टीए-डीए?

शाही हरम के रखवालों को ख्वाजासरा कहा जाता था. हरम का काम यानी दरबार का सरकारी काम. ऐसे में हरम की रखवाली करने के लिए भी सैलरी मिलती थी. बताया जाता है कि आज की सरकारी नौकरी की तरह किन्नरों को यात्रा भत्ता यानी TA और महंगाई भत्ता यानी DA मिलता था.

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