क्या होता है ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम,जिसकी अनदेखी से हुआ कंचनजंघा रेल हादसा !
Bavita Jha
Jun 17, 2024
पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में कंचनजंघा एक्सप्रेस रेल हादसे की शिकार हो गई. रानीपात्रा स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से एक मालगाड़ी ने जोरदार टक्कर मारी.
शुरुआती जांच के मुताबिक मालगाड़ी के लोकोपायलट ने सिग्नल की अनदेखी करते हुए उसी पटरी पर पहुंच गई, जिसपर कंचनजंघा एक्सप्रेस पहले से खड़ी थी. जिसके बाद उसने पीछे से टक्कर मारी, हादसे में कई यात्रियों की मौत हो गई.
जिस रूट पर ये रेल हादसा हुआ, वहां सुबह से ही ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा था. रेलवे धीरे-धीरे एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम से ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम की ओर शिफ्ट हो रहा है.
स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किमी पर सिग्नल लगे होते हैं. इसी सिग्नल के सहारे एक ही ट्रैक पर ट्रेन एक दूसरे के आगे पीछे चलती हैं.
वहीं सिग्नल ये भी बताता है कि जब एक ट्रेन आगे होती है तो पीछे वाली ट्रेन की रफ्तार धीमी करने का सिग्नल मिल जाता है.
ये सिग्नल ऑटोमेटिक काम करती है. अगर किसी कारण सिग्नल काम नहीं करता तो ट्रेनें जहां है, वहीं खड़ी होकर इंतजार करती है, जब तक की आगे वाली ट्रेन अगले स्टेशन पर न पहुंच जाए.
रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, अगर ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम फेल हो जाता है तो स्टेशन मास्टर ‘टीए 912’ नामक एक लिखित आधिकार-पत्र जारी करता है.
ये अधिकार पत्र ट्रेन के चालक को खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है.
सूत्रों के मुताबिक रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या-13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) को टीए 912 जारी किया था.
हालांकि ये जांच का विषय है कि स्टेशन मास्टर ने मालगाड़ी के लोकोपायलट को ‘टीए 912’ दिया गया था या फिर लोको पायलट ने खराब सिग्नल के नियम का उल्लंघन किया था.
अगर उसे ‘टीए 912’ दिया भी जाता तो नियम के मुताबिक उसे हर सिग्नल पर 1 मिनट के लिए रुकना था और गाड़ी की स्पीड 10 किमी प्रति घंटे की रखनी होती है.
कंचनजंगा रेल हादसे के दौरान पीछे से आ रही मालगाड़ी के लोकोपायलट ने सिग्नल की अनदेखी करते हुए उसी ट्रैक पर खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस से वो टकर मार दी.