आपने अक्सर महान संतो के नाम क आगे 1008 या 108 लिखा देखा होगा.
पर क्या आप जानने है कि इसका मतलब क्या होता है, और नाम के आगे 1008 या 108 क्यों लिखा जाता है.
चारों पीठो के शंकराचार्य के आगे भी 1008 लगता है.
सनातन में 1008 को पूर्ण संख्या माना गया है. विशेष तौर पर 1008 एक उपाधि होती है.
ठीक इसी प्रकार अगर किसी के नाम के आगे 108 लगा है तो ये भी उपाधि को दर्शाता है.
सनातन परंपरा में नाम के आगे श्री लगाना आम बात है. लेकिन अगर श्री के साथ अंक जुड़े हुए है तो वह नाम विषेश हो जाता है.
यह अंक उपाधि के तौर पर महामंडलेश्वरों अथवा बहुत बड़े आध्यात्मिक हस्तियों को ही दी जाती है.
संन्यास परंपरा में 9 अंक को पूर्णांक माना जाता है. इसके आधार पर 108 और 1008 दोनों का योग 9 होता है.
इसलिए, इस अंक को केवल उन्हीं संतों को उपाधि के तौर पर दी जाती है जिनमें पूर्णता ही, जो सनातन धर्म और वेदों का ज्ञानी हो.