स्कंद पुराण की माने तो देवता और पितर गंध व रस तत्व से अपना भोजन ग्रहण कर पाते हैं.
परिजन पितृ पक्ष में जो श्राद्ध का भोजन बनाते हैं उसे जरूर अग्नि को समर्पित करना चाहिए.
इससे अन्न के सार तत्व से पितर अपना भोजन ग्रहण कर लेते है और बाकी सामग्री अग्नि कुंड में ही रह जाती है.
अन्न समर्पित करने के लिए पूर्वजों को गाय के कंड़े पर गुड़ व घी डालकर गंध निर्मित करने की विधि की जाती है.
जिसका श्राद्ध करना है उसके निमित्त मंत्र उच्चारण के साथ कंड़े पर ही अन्न अर्पित किया जाता है. हवन किए गए पदार्थ दिव्य पितर पूर्वजों तक ले जाते हैं.
वहीं पंचबलि भोग से पितर संतुष्ट होते हैं. पंचबलि भोग गाय, कुत्ते, कौए, देव के अलावा चीटियों को पत्तल में निकालकर अर्पित किया जाता है.
ये पांच जीव जब भोग ग्रहण करते हैं तो इनके माध्यम से पितरों को अन्न प्राप्त हो पाता है.
श्राद्ध का भोजन सात्विक होना जरूरी है. स्नान के बाद बिना चप्पल पहने श्राद्ध के लिए भोजन बनाएं. पूरी श्राद्ध से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इससे पितर प्रसन्न होंगे.
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