आईए संविधान दिवस के मौके पर जानते हैं भारत का संविधान बनाने और उसे सुरक्षित रखने से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.
संविधान की मूल कॉपी पर सबसे पहले हस्ताक्षर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के होने थे, लेकिन जवाहर लाल नेहरू पहले पहुंचे और उन्होंने सबसे ऊपर हस्ताक्षर कर दिए.
संविधान की मूल कॉपी पर जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद हस्ताक्षर करने पहुंचे तो उन्हें पेज पर ऊपर की ओर जगह नहीं मिली. वहां नेहरू के हस्ताक्षर थे.
जब मौजूद स्टाफ ने देखा तो उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद से कहा कि आप पंडित जी के हस्ताक्षर के ऊपर बची थोड़ी सी जगह में हस्ताक्षर कर दीजिए.
जब वहां मौजूद स्टाफ ने सलाह दी. उसके बाद संविधान की मूल कॉपी पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सबसे ऊपर तिरछे अपना हस्ताक्षर कर दिया.
पुस्तक की मूल प्रति भारत की संसद की लाइब्रेरी में एक विशेष हीलियम से भरे केस में रखी गई है. इसकी एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है.
13 किलोग्राम के संविधान की पांडुलिपि 45.7X 58.4 सेंटीमीटर के पार्चमेंट पेपर पर लिखी गई. सेलुलोस बेस्ड पार्चमेंट कागज को खास एक्सपेरिमेंट से नॉन स्टिक बनाया जाता है.
संविधान लिखने के लिए सेलुलोस बेस्ड पार्चमेंट पेपर इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर से मंगवाया गया था. संविधान की हिंदी कॉपी को कैलीग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने अपने हाथ से लिखी है. इसका पेपर इंग्लिश कॉपी से अलग है.
हिंदी कॉपी को हैंडमेड पेपर रिसर्च सेंटर पुणे में बनाया गया है. संविधान की हिंदी कॉपी में कुल 264 पन्ने हैं. हिन्दी में लिखित संविधान 14 किलोग्राम का है.