दिलों में फासले ऐसे भी होंगे सोचा न था... गुलाम अली की ये गजलें शायरी दिल में उतर जाएंगी

Rahul Mishra
Dec 04, 2024

गजल 1

चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है। हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है।।

गजल 2

दिल के लुटने का सबब पूछो न सब के सामने। नाम आएगा तुम्हारा ये कहानी फिर सही।।

गजल 3

हंगामा है क्यूं बरपा थोड़ी सी जो पी ली है। डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है।।

गजल 4

ओ पिछली रुत के साथी। अब के बरस मैं तन्हा हूं।।

गजल 5

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था। न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था।।

गजल 6

महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी। हमने बचायी लाख मगर फिर भी उधर गयी।।

गजल 7

फिर उसी रहगुज़ार पर शायद। हम कभी मिल सकें मगर शायद।।

गजल 8

कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी। और ये चोट भी नई है अभी।।

गजल 9

रुक रुक के साज़ छेड़ कि दिल मुतमइन नहीं। थम थम के मय पिला कि तबीअत उदास है।।

गजल 10

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था। सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था।।

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