टिहरी के सैंजी गांव को कॉर्न विलेज कहा जाता है, क्योंकि यहां के हर घर की छतों, दीवारों और आंगन में मक्का लटका नजर आता है.
सैंजी और भटोली गांव में टूरिस्ट इन अनोखे घरों को देखने आते हैं. इस गांव की अनूठी परंपरा को देखने के लिए लोग देश ही नहीं विदेशों से भी यहां पहुंचते हैं.
यहां परंपरागत खेती करते हुए भुट्टे की पैदावार ज्यादा मात्रा में की जाती है और फिर बीज के लिए इन्हें टांग दिया जाता है, जिससे अगले साल इनके जरिए फिर से फसल उगायी जा सके.
वैसे तो ये पुराना रिवाज है कि लोग बीजों के लिए लहसुन, प्याज से लेकर मक्के के बीजों को टांग देते हैं, लेकिन यहां के एक शख्स ने इस दिशा में बहुत अहम भूमिका निभाई थी.
कहा जाता है कि कुंवर सिंह ने पढ़ाई करने के लिए शहर का रुख किया था. वहां से वह जब अपने गांव वापस आए तो उन्होंने एक विदेशी महिला के साथ शादी कर ली थी.
इसके बाद विदेश से लोग उनके यहां मिलने आते तो छतों पर टंगे हुए इन मक्कों या भुट्टों को देखकर खुश होते थे. इसके बाद उन्होंने मक्कों से घरों को सजाने का ट्रेंड चलाया.
सैंजी गांव के घरों की चौखटों, दरवाजों, खिड़कियों और छतों पर भुट्टों को टांगा जाता है. यहां कई कैफे और रेस्टोरेंट भी इस थीम पर ही बनाए गए हैं, जो अपनी अनूठी संस्कृति से सैलानियों को आकर्षित करते हैं.
यहां जनवरी में एक गोट फेस्टीवल का आयोजन किया जाता है, जहां बकरों की बलि दी जाती है. दूसरी ओर जून में एक फिश फेस्टिवल का सेलिब्रेशन किया जाता है, जिसे मौंड फेस्टिवल कहा जाता है.