द्रौपदी का चीरहरण महाभारत की सबसे निंदनीय घटना थी. जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था उस वक्त सभा में कई सम्मानीय लोग थे, इनमे एक पितामह भीष्म भी थे.
जिन लोग ने टीवी पर महाभारत देखी और पढ़ी है, उनके मन में एक सवाल जरूर होगा कि पितामह भीष्म द्रौपदी का चीरहरण के वक्त चुप क्यों थे.
यह सवाल पांचाली द्रौपदी के मन में भी था. वहीं, इसके जवाब के लिए वह महाभारत युद्ध के मैदान में गई.
जिस वक्त पितामह भीष्म बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे, तब श्रीकृष्ण-पांडवों के साथ द्रौपदी भी उनसे मिलने पहुंची थी.
इस समय पितामह भीष्म पांडवों को धर्म-अधर्म के बारे में बता रहे थे.
वहीं, द्रौपदी ने पितामह भीष्म से सवाल किया कि आप मेरे चीरहरण के वक्त चुप क्यों थे?
द्रौपदी ने बोला-आपने मेरी रक्षा क्यों नहीं की?
इस सवाल का जवाब देते हुए पितामह भीष्म ने कहा कि मुझे पता था कि एक दिन मुझसे तुम से सवाल जरूर करोगी.
उन्होंने कहा कि मैं ये अधर्म इसलिए नहीं रोक पाया क्योंकि मैं दुर्योधन का अन्न खा रहा था.
पापी इंसान का अन्न खाने से मेरा मन दुर्योधन के अधीन हो गया था. इस वजह से मैं चाहकर भी इस अधर्म को नहीं रोक पाया.
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