कुरुक्षेत्र युद्ध समाप्त ने के बाद पांडवों को बताया कि कर्ण उनका सबसे बड़ा भाई

कुंती ने कुरुक्षेत्र युद्ध समाप्त होने के बाद पांडवों को बताया कि कर्ण उनका सबसे बड़ा भाई था, जिसे उन्होंने छोड़ दिया था.

कर्ण की मृत्यु के बाद कबूला

कर्ण की मृत्यु के बाद, कुंती ने पांडवों के सामने कबूल किया कि वह सूर्य देव द्वारा उनका पहला पुत्र था, और पांडवों से उसका अंतिम संस्कार करने के लिए कहा

कुंती वही पुत्र है जिसे नदी पर छोड़ दिया था

कर्ण की मृत्यु के बाद कुंती दुखी हो गई थी उसके बाद उन्होंने पांडवों को बताया कि कर्ण वही पुत्र है जिसे उसने अपनी शादी से पहले जन्म दिया था और उसने उसे एक टोकरी में रख कर नदी पर छोड़ दिया था.

कर्ण कुंती के भूल का परिणाम

कुंती ने पांडवों के सामने स्वीकार किया कि कर्ण उनका भाई था, जो सूर्य पुत्र था, जो उनके युवावस्था में किए गए भूल के कर्ण जन्म दिया था.

कुंती का पहला पुत्र कर्ण

कुंती ने पांडवों से कहा कि कर्ण उनका पहला पुत्र था जो उन्हें सूर्य द्वारा प्राप्त हुआ था, जिसे उसने एक कुंवारी के रूप में जन्म दिया था और उसने उसे एक नदी में छोड़ दिया था.

कर्ण को जन्म से ही कवच और कुंडल प्राप्त

कुंती ने पांडवों को बताया कि कर्ण सूर्य उन्होंने एक दिव्य मंत्र के साथ जन्म दिया था. उसे जन्म से ही कवच और कुंडल प्राप्त था.

कर्ण पांडवों का बड़ा भाई

कुंती ने पांडवों के सामने स्वीकार किया कि कर्ण उनका बड़ा भाई था, जिसे उसने सूर्य के साथ गर्भ धारण किया था, जिसे भूलवश अपने कुंवारे पन में ही कर्ण को पैदा किया था

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