'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता'...पढ़िए निदा फाजली की फेमस शायरी

Harsh Katare
Nov 22, 2024

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना हो कई बार देखना

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

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