'माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं'...पढ़िए अल्लाम इकबाल की ये फेमस शायरियां

Harsh Katare
Dec 16, 2024

सौ सौ उमीदें बंधती है इक इक निगाह पर मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई

इल्म में भी सुरूर है लेकिन ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो

सितारों के आगे जहां और भी हैं अभी इश्क के इम्तिहान और भी हैं

ढूंढता फिरता हूं मैं एक बार अपने आप को आप ही गोया मुसाफिर आप ही मंजिल हूं मैं

नशा पिला के गिराना तो सब को आता है मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

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