जबलपुर में यहां बलिदान देकर अमर हुईं थीं रानी दुर्गावती; जानिए शौर्य की रहस्यमयी कहानी

Abhinaw Tripathi
Dec 06, 2024

MP Historical Place

मध्य प्रदेश में कई ऐतिहासिक जगहें हैं जहां पर घूमने- फिरने के लिए दूर- दूर से सैलानी आते हैं, यहां पर कई ऐतिहासिक लड़ाईयां लड़ी गई है, ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं रानी दुर्गावती के शौर्य की कहानी के बारे में.

रानी दुर्गावती का जन्म

रानी दुर्गावती का जन्म 1524 में हुआ था. रानी का राज्य गोंडवाना था. महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं.

दलपतशाह का निधन

रानी की वीरता के किस्से सुनकर गोंडवाना साम्राज्य के तत्कालीन राजा संग्राम शाह मड़ावी ने अपने बेटे दलपत शाह मड़ावी से उनकी शादी करवाई थी, विवाह के चार वर्ष बाद ही दलपतशाह का निधन हो गया था.

गोंडवाना साम्राज्य

रानी दुर्गावती ने इसके बाद खुद गोंडवाना साम्राज्य संभाल लिया, उन्होंने अनेक मठ, कुएं, बावड़ी व धर्मशालाएं बनवाईं, वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था.

अदम्य साहस

ऐसा कहा जाता है कि अगर रानी को कहीं पर शेर दिखाई देता था तो वो उठकर उसे मारने चलीं जाती थी, जब तक उस शेर को मार नहीं देती थी तब तक वापस नहीं लौटती थीं.

दोगुनी सेना और तैयारी के साथ

मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतना चाहता था, अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसफ खां के नेतृत्व में गोंडवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया, एक बार तो आसफ खां पराजित हुआ, पर अगली बार उसने दोगुनी सेना और तैयारी के साथ हमला बोला.

बलिदान दे दिया

24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर हमला बोला, रानी ने बेटे नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेजकर पराक्रम दिखाया, हालांकि संभावित हार को देखते हुए उन्होंने खुद अपना बलिदान दे दिया.

नारिया नाला के पास बलिदान

वीरांगना रानी दुर्गावती ने जबलपुर ज़िले के बरेला के पास नारिया नाला के पास बलिदान दिया था, रानी दुर्गावती ने कई मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी, और धर्मशालाएं बनवाई थीं.

16 सालों तक राज्य चलाया

रानी दुर्गावती ने 16 सालों तक राज्य चलाया, इस दौरान कोई भी शासक उनके साहस और कौशल के आगे टिक नहीं पाया. आज भी रानी के वीरता के किस्से सुनाए जाते हैं.

VIEW ALL

Read Next Story