Madhya pradesh Election: राजमाता यानी विजया राजे सिंधिया ने भारतीय जनसंघ और बीजेपी के विस्तार में अहम भूमिका निभाई. साल था 1972, उस समय अटल जी अब एक और बार जनसंघ के अध्यक्ष नहीं बनना चाहते थे और उन्होंने आडवाणी जी से यह पद संभालने को कहा, लेकिन उन्होंने ये कहकर मना कर दिया कि मैं अच्छा वक्ता नहीं हूं. तभी दोनों के मन में राजमाता का नाम आया. पहले तो राजमाता तैयार नहीं हुईं, लेकिन फिर इस शर्त के साथ हां कर दी कि अगर मेरे गुरु जी इसके लिए हां कहेंगे तो मैं यह जिम्मेदारी निभाऊंगी. हालांकि, दतिया के पीताम्बरा पीठ के स्वामी, जो राजमाता के आध्यात्मिक गुरु थे, ने उन्हें यह पद न लेने की सलाह दी. जिसके बाद वह कभी भी जनसंघ या बीजेपी की अध्यक्ष नहीं रहीं. उन्होंने उपाध्यक्ष के पद पर कार्य किया...
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