Chhatarpur Bhimkund Story: बुंदेलखंड के छतरपुर के पास स्थित भीमकुंड को पांडवों के अज्ञातवास के दौरान खोदा था. इस कुंड की गहराई कितनी है इसका अंदाजा कोई नहीं लगा पाया है. इस कुंड को और इससे जुड़ी कहानियों को आइए जानते हैं.
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में भीमकुंड स्थित है. छतरपुर रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 70 km है. बड़ा मलहरा से इसकी दूरी 27 km है.दोनों जगहों से बस पकड़कर यहां पहुंचा जा सकता है.
भीमकुंड की गहराई का पता आज तक कोई नहीं लगा सका है. जिले के लोगों का दावा है कि वैज्ञानिक भी इसकी गहराई नापने इसमें उतरे पर वह विफल रहे.
क्षेत्रीय मान्यताएं हैं कि अज्ञातवास के दौरान जब पांडव और द्रौपदी बुंदेलखंड के जंगलों में भटक रहे थे. इस दौरान द्रौपदी को प्यास लगी और युधिष्ठिर ने भीम को पानी लाने के लिए कहा. भीम ने अपना गदा जमीन पर मारा और भीम के एक वार से यह कुंड अस्तित्व में आ गया.
कुंड में पानी कहां से आता इसको लेकर भी रहस्य बना हुआ है. क्योंकि यह कुंड के पानी का स्तर बारह महीने समान रहता है. ये किसी नदी-तालाब के पास भी नहीं है.
लोगों का यह भी मानना है कि यह समुद्र से मिलता है और इसमें डूबा व्यक्ति समुद्र में ही निकलता है. इसके पानी को लेकर भी कहा जाता है कि यह समुद्र से आता है.
भीमकुंड की गहराइयों में पानी का दबाव इतना हो जाता है कि इंसानी शरीर उसे झेल नहीं पाता है. इसलिए भीमकुंड में डूबे लोगों की खोज करने जब सुरक्षा बल इसमें उतरता है तो वो 100 मीटर के नीचे नहीं जा पाता.
भीमकुंड के बाहर शिवजी का मंदिर है, जहां लोग कुंड में नहाने के बाद मन्नत मांगने जाते हैं. यहां पाठशाला भी चलाई जाती है. जहां बच्चों को वेदों पुराणों का पाठ कराया जाता है.
कुंड के अंदर कई गुफाएं होने का दावा भी क्षेत्रीय लोग करते हैं. कुछ समय पहले जीजा साले जब नहाने पहुंचे तो साला डूब गया. जीजा साले को बचाने गया तो साला तो वापस आ गया पर जीजा को किसी गुफा ने अंदर खींच लिया. जीजा की लाश आज तक नहीं मिल सकी है.
तीन महीने पहले जब जीजा डूब कर मरा और 90 मीटर तक खोजने पर भी उसकी लाश नहीं मिली तब प्रशासन ने इसमें नहाने पर रोक लगा दी. यह रोक अब भी जारी है.
भीमकुंड में नहाने वालें की भीड़ लगी रहती है. खासतौर पर मकर संक्रांति जिसे बुंदेली बुड़की कहते है, इस दौरान लोग इस कुंड में दूर दूर से नहाने आते हैं.
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