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Unique Invitation: कोंडागांव में भगवान शिव और पार्वती ने बांटा निमंत्रण! जानें क्या है बंग समाज का चरक उत्सव?

Kondagaon News: कोंडागांव में होने वाले चरक उत्सव मेले के लिए शिव भक्त शहरभर में शिव-पार्वती की पूजा के लिए लोगों के घर-घर न्योता दिया. अनोखी पूजा के लिए अनोखे तरीके से बांटे गए निमंत्रण की फोटो जमकर वायरल हो रही हैं.

चरक उत्सव (Charak Utsav)

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चरक उत्सव (Charak Utsav)

कोंडागांव के बोरगांव में हर साल के खास उत्सव होता है. इसे चरक उत्सव मेले नाम से जाना जाता है. इससे पहले भक्त और आयोजित सभी लोगों को न्योता देने के लिए निकलते हैं. इस साल निमंत्रण का ये आयोजन मंगलवार को आयोजित किया गया. इसके फोटो वीडियो अब जमकर वायरल हो रहे हैं.

अनोखी शिव पूजा

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अनोखी शिव पूजा

शिव पार्वती का रूप धारण कर चरक पूजा का न्योता देने के लिए शिव भक्त निकले थे. उन्होंने 12 और 13 अप्रैल को होगे वाली अनोखी शिव पूजा के लिए लोगों को न्योता दिया. बता दें बंग समाज चरक उत्सव मनाएगा जो प्रभु शिव और माता पार्वती को समर्पित है.

हर साल होता है आयोजन

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हर साल होता है आयोजन

बता दें ये आयोजन कोंडागांव के पश्चिम बोरगांव में प्रतिवर्ष होता है. चरक उत्सव मेले के लिए इसी तरह की तैयारी की जाती है. हर साल भक्त इसी तरह निमंत्रण देते हैं और आयोजन के लिए चंदा भी वसूलते हैं.

मूलतः बंगाली उत्सव

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मूलतः बंगाली उत्सव

इस चरक उत्सव के बारे में पुजारी कार्तिक सरकार निवासी पश्चिम बोरगांव ने बताया कि यह चरक उत्सव मूलतः बंगाली समुदाय का एक बड़ा उत्सव करता है. उनसें शिव पार्वती की पूजा होती है.

अनोखी होती है पूजा

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अनोखी होती है पूजा

अनोखी पूजा होती जिसमे शिव के भक्त पेड़ों पर चढ़तें हैं. शरीर पर छेदकर उनके शरीर मे तार बांधकर घुमाया जाता है. ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसे देखने दूर दूर से लोग पहुंचते हैं.

30 दिन का उपवास

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30 दिन का उपवास

इस उत्सव को मनाने वाले 30 दिन का उपवास करते हैं. उपवास के पूरे होते ही पूर्ण होते ही शिव-पार्वती की पूजा होती है और भव्य मेला लगता है. इस वर्ष 12 और 13 अप्रैल को यह उत्सव होने जा रहा है.

आने लगे हैं लोग

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आने लगे हैं लोग

जिलेभर में बंगाली समाज के लोग शिव-पार्वती का रूप धारण कर नृत्य भजन करते हुए उन्हें निमंत्रण देते हैं. इसके साथ ही वो अधिक से अधिक लोग इस उत्सव में शामिल करने के लिए अपील करते हैं. अभी से इस उत्सव के लिए बंग समुदाय के लोग भी आने लगे हैं.