Dhar Bhojshala ASI Survey: हाई कोर्ट के आदेश के बाद धार में ऐतिहासिक परमारकालीन भोजशाला में शुक्रवार (22 मार्च) की सुबह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया है.
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Dhar Bhojshala ASI Survey: मध्यप्रदेश के धार जिले की भोजशाला का सच जानने आर्कियोलॉजिक्ल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) का 5 सदस्यीय दल धार के भोजशाला में पहुंच गया है. यहां हाईकोर्ट के निर्देश पर भोजशाला के सर्वे के लिए शुक्रवार से खुदाई शुरू होगी.
Dhar Bhojshala: ज्ञानवापी के बाद अब भोजशाला की बारी, 22 मार्च से ASI करेगी सर्वे
बता दें कि भोजशाला के बाहर भारी पुलिसबल तैनात कर दिया गया है. गौरतलब है कि कई वर्षों से भोजशाला को लेकर विवाद है. उस पर हिन्दू और मुस्लिम अपना हक जताते हैं. हिन्दू पक्ष का कहना है कि यहां सरस्वती मंदिर है, जबकि मुस्लिम पक्ष भोजशाला को इबादतगाह बताता है. भोजशाला मामले में इंदौर में लगी याचिका पर सुनवाई के बाद फरवरी माह में सर्वे के आदेश दिए थे. जिसके बाद आज ASI की टीम पहुंची है.
#WATCH मध्य प्रदेश: हाई कोर्ट के आदेश के बाद धार में ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम भोजशाला का सर्वे करने पहुंची। pic.twitter.com/2mVLo0VtdO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 22, 2024
जुम्मे की नमाज पर नहीं पड़ेगा असर
वहीं आज यानी शुक्रवार से सर्वे शुरू होने के बीच अटकलें चल रही थी कि शुक्रवार को होने वाली जुम्मे की नमाज पर इसका असर पड़ेगा. हालांकि इसे लेकर धार एसपी मनोज कुमार सिंह ने मीडिया से कहा कि धार की भोजशाला में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. हाई कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा. भोजशाला में नमाज भी होगी, वह प्रभावित नहीं होगी.
मुस्लिम पक्ष पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला के सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है. दरअसल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. मु्स्लिम पक्ष ने ASI सर्वे पर रोक लगाने की मांग की है.
क्या है भोजशाला
11वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के धार जिले में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज धार के शासक थे. खास बात यह थी कि राजा भोज देवी सरस्वती के बहुत बड़े भक्त थे. 1034 ई. में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, यह महाविद्यालय बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना गया, जिस पर हिंदू धर्म के लोग आस्था रखते हैं.
क्या है विवाद
भोजशाला पर विवाद बात करें तो हिंदू संगठन भोजशाला को सरस्वती को समर्पित मंदिर मानते हैं. हिंदुओं का मानना है कि राजवंश के शासनकाल के दौरान कुछ समय के लिए मुसलमानों को भोजशाला में नमाज की अनुमति मिली थी. वहीं इसके विपरीत, मुस्लिम समुदाय भोजशाला में नमाज अदा करने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा का दावा करता है. मुसलमान भोजशाला को भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं. हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद अब सर्वे शुरू हो गया है. जिसके बाद स्थिति साफ हो जाएगी.
रिपोर्ट- कमल सोलंकी
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