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वो गांव जहां जन्मे थे संगीत सम्राट तानसेन, संगीतकारों के लिए तीर्थ से कम नहीं ये जगह

Tansen Birth Place: मुगल सम्राट अकबर के दरबार में नवरत्नों  में से एक महान संगीतकार तानसेन की कला से लगभग सभी परिचित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं दिल्ली के दरबार में रहने वाले तानसेन का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था. तानसेन का जन्म एक छोटे से गांव में हुआ था. आज जानते हैं तानसेन की जन्मस्थली के बारे में...

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ज्यादातर इतिहासकार तानसेन का जन्म 1532 ईसवी के करीब बताते हैं. संगीत सम्राट तानसेन का जन्म ग्वालियर के बेहट गांव में हुआ था. पिछले साल ही मध्य प्रदेश सरकार ने इस गांव का नाम बदलकर तानसेन नगर रखा है.  

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स्थानीय लोग इस गांव को तानसेन की जन्मस्थली और बेहट गांव से ही जानते हैं. तान की जन्मस्थली होने की वजह से ग्वालियर को यूनेस्को ने 'City of Music' की मान्यता दी है.

 

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बताया जाता है कि तानसेन ने संगीत कला ग्वालियर के आसपास ही सीखी. कहा जाता है कि वे शुरुआत में हिंदू राजा राजा रामचंद्र सिंह के दरबार में गायन करते थे. यहां से उन्हें प्रसिद्धी मिलना शुरू हुई. 

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इसी प्रसिद्धी के चलते मुगल सम्राट अकबर का ध्यान तानसेन पर गया था. अकबर ने राजा के पास दूत भेजकर तानसेन को मुगल दरबार में संगीतकारों के साथ शामिल होने को कहा. 

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कहा जाता है कि अकबर के बुलावे पर शुरुआत में तानसेन ने शुरू में दरबार में जाने से इनकार कर दिया. हालांकि, बाद में राजा रामचन्द्र सिंह के समझाने पर तानसेन ने अकबर के दरबार में गाने का फैसला किया. 

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कहा जाता है कि महज 8 साल की उम्र में तानसेन ने पहली बार अकबर के दरबार में गए थे. पहली बार में अकबर गायन से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने  तानसेन को दरबार में शामिल होने का प्रस्ताव दिया.

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कई कहानियों से पता चलता है कि तानसेन के बचपन का नाम रामतनु था. उनके पिता मकरंद पांडे एक कवि और कुशल संगीतकार थे. मुकुंद राम कुछ समय के लिए काशी में एक हिंदू मंदिर के पुजारी भी थे.

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एक कहानी यह भी प्रचलित है कि मकरंद पांडे की कई संताने हुईं, लेकिन कोई भी संतान जीवित नहीं रही. इसके बाद मकरंद पांडे सूफी संत मोहम्मद गौस के पास गए.  उनकी दुआ से तन्ना उर्फ तनसुख उर्फ त्रिलोचन का जन्म हुआ, जो आगे चलकर तानसेन के नाम से विख्यात हुए.

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कहा जाता है कि एक बार बचपन में तानसेन की इस भक्ति से भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्हें साक्षात दर्शन दिए और तानसेन से संगीत सुनने की इच्छा प्रकट की. मान्यता है कि शिवजी के कहने पर तानसेन ने ऐसी तान छेड़ी कि शिव मंदिर ही टेढ़ा हो गया. यहां एक झुका हुआ शिव मंदिर आज भी मौजूद है. 

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तानसेन के चार पुत्र और एक बेटी थी. कुछ कहानियां बताती हैं कि तानसेन के बाद उनके संगीत को उनके बच्चों ने आगे बढ़ाया, लेकिन उन्हें इतनी प्रसिद्धी नहीं मिल सकी. तानसेन के पुत्र बिलास ने तानसेन की मौत के बाद राग बिलक्षनी की रचना की थी.