MP News: प्रशासनिक लापरवाही की हद! बरस बीत गए लेकिन अब तक नहीं बना पुल
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MP News: प्रशासनिक लापरवाही की हद! बरस बीत गए लेकिन अब तक नहीं बना पुल

Mandsaur News: मंदसौर में प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. दरअसल यहां 2019 से टूटा पुल अब तक नहीं बन पाया है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

 

MP News: प्रशासनिक लापरवाही की हद! बरस बीत गए लेकिन अब तक नहीं बना पुल

मनीष पुरोहित/मंदसौर: मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में 2019 में आई बाढ़ के दौरान मध्यप्रदेश और राजस्थान को जोड़ने वाला चंबल नदी पर बना पुल बह गया था. घटना के 4 साल बीत जाने के बावजूद अभी भी पुल टूटा पड़ा है. इसे बनाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं. यहां तक कि अभी तक इसको बनाए जाने का टेंडर तक नहीं हुआ है. ना ही पिछला पुल कैसे टूटा इसकी जांच की गई है. यह पुल मंदसौर से राजस्थान होते हुए भोपाल के रास्ते को जोड़ता है. इस रास्ते से होकर राजस्थान के चोमेला डग जाया जाता है. लेकिन पुल टूटने की वजह से इस इलाके की 50,000 से ज्यादा आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें उस पार जाने के लिए कई किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है या जान जोखिम में डालकर नदी को पार करना पड़ रहा है.

लोगों को हो रही परेशानी
स्थानीय रहवासी राजेश रघुवंशी बताते हैं कि, 2019 से टूटा हुआ पुल अभी तक नहीं बन पाया है. मध्य प्रदेश राजस्थान को जोड़ने वाले इस पुल के टूटने की वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. किसी को 25 किलोमीटर तो किसी को 50 किलोमीटर तक लंबा चक्कर काटना पड़ रहा है. कुछ लोग नदी को भी अवैध तरीके से पार करते हैं जिसके कारण दुर्घटना का खतरा भी लगातार बना हुआ है. कुछ ही सालों पहले बना यह पुल कैसे टूट गया इसकी जांच भी नहीं की गई है. यहां जो जिम्मेदार अधिकारी है वो किन कामों में लगे रहते है इसकी भी जांच होनी चाहिए. क्योंकि मूलभूत काम तो हो नहीं रहे हैं. जिले में सेतु निर्माण के लिए अलग से एक दफ्तर भी खुला हुआ है. लेकिन इस दफ्तर से अधिकारी अक्सर नदारद मिलते हैं. पुल के मामले में कैमरे पर आने को अधिकारी तैयार नहीं है.

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अधिकारी नहीं दे रहे जवाब
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए तीन बार टेंडर बुलाए गए थे. लेकिन किसी भी ठेकेदार ने टेंडर नहीं भरा. पिछला टेंडर निकाला गया जिसमें 4 निविदाएं आई है. लेकिन यह भी अभी प्रक्रियाधीन है यानी कि कब यह पुल बनेगा इसका निर्धारण अभी तक नहीं हो पाया है, ना ही कोई अधिकारी इस मामले में जवाब देने को तैयार है.

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