CM शिवराज के जन्मदिन पर जानिए, पांव-पांव वाले भैया, कैसे बन गए बुलडोजर मामा?
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CM शिवराज के जन्मदिन पर जानिए, पांव-पांव वाले भैया, कैसे बन गए बुलडोजर मामा?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) रविवार को अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके जन्मदिन को लेकर विशेष तैयारी की गई है. सीएम के जन्मदिन के मौके पर हम आपको मुख्यमंत्री की पहचान किस तरह बदली हैं, वो बताएंगे.

CM शिवराज के जन्मदिन पर जानिए, पांव-पांव वाले भैया, कैसे बन गए बुलडोजर मामा?

Happy Birthday Shivraj singh chouhan: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) रविवार को अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके जन्मदिन को लेकर विशेष तैयारी की गई है. सीएम के जन्मदिन के मौके पर हम आपको मुख्यमंत्री की पहचान किस तरह बदली हैं, वो बताएंगे. कभी पांव-पांव वाले भैया के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान आज बुलडोजर मामा के नाम से जाने लगे हैं. तो चलिए आपको बताते हैं, ये सब कैसे हुआ. 

पांव-पांव भैया कैसे नाम पड़ा? 
पहले जानत हैं कि सीएम शिवराज सिंह का नाम पांव-पांव वाले भैया कैसे पड़ा? दरअसल सीएम शिवराज लोगों के बीच अपनी पहचान बनाना चाहते थे. जब वो सांसद बने तो वो अपने क्षेत्र में ही कार से चलने के बजाय पदयात्रा करते थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने कई बार अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा पैदल ही किया है. वहीं जब वो पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने कई गांव का दौरा पैदल ही किया और इसकी कारण विदिशा के बाद पूरे प्रदेश में उनको पांव-पांव वाले भैया कहने लगे.

शिवराज मामा नाम कैसे पड़ा?
पांव-पांव वाले भैया नाम जब पीछे छूटा तो शिवराज सिंह चौहान ''मामा'' नाम से लोकप्रिय हुए. अब उन्हें मामा कैसे बुलाने लगे? तो इसकी वजह खुद सीएम शिवराज ने एक निजी टीवी में दिए इंटरव्यू में बताई थी. उन्होंने कहा था कि वैसे तो मामा का मतलब मां का भाई होता है. लेकिन इसका व्यापक अर्थ ये भी हैं कि जिसके दिल में बेटियों के लिए दो मां का प्यार हो वहीं मां-मां यानी मामा कहलाता है. इसी वजह से मुझे मामा पुकारा जाने लगा. 

उस इंटरव्यू में सीएम ने बताया था कि उन्होंने बेटियों के लिए कई योजना शुरू की है. इसके बाद से प्रदेश की बेटी मुझे मामा कहने लगी. इसके बाद बेटे भी मामा कहने लगे. 

अब बुलडोजर मामा से लोकप्रिय 
2018 में सत्ता गंवाने और फिर सत्ता में काबिज होने के बाद शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह बदल गए. वैसे तो देशभर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुलडोजर बाबा के नाम से विख्यात हैं ही लेकिन शिवराज सिंह चौहान के साथ भी बुलडोजर मामा जुड़ गया है. इसके पीछे का कारण मध्यप्रदेश में बढ़ते अपराध और महिलाओं पर अत्याचार ही है. शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरल छवि को पीछे छोड़ हार्ड लाइनर में खुद को बदला हैं. 

सीएम शिवराज ने कहा था 'मैं चौथी बार इसलिए नहीं आया हूं कि आराम से सत्ता के मद में चूर होकर बैठ जाऊं. हम दिन और रात काम करने के लिए हैं, ताकि लोगों की जिंदगी बदल डालें' उनका ये कार्यकाल पिछले 3 कार्यकालों से काफी अलग है. वो इसलिए क्योंकि पहले के तीन कार्यकालों में शिवराज की छवि योजनाओं को लागू करना, प्रदेश को लोगों की चिंता करने वाली छवि थी तब वो सिर्फ मामा कहलाते थे, लेकिन अब वह बुलडोजर मामा कहलाने लगे हैं.

गुंडे-माफिया-बदमाशों पर कार्रवाई
सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने चौथे कार्यकाल में काफी आक्रामक तेवर में नजर आए. क्योंकि उनके इस कार्यकाल में प्रदेश में गुंडे, बदमाश, भूमाफिया पर सख्त कार्रवाई की जा रही है. सीएम हर जगह कमिश्नर-कलेक्टर को एक बात का हमेशा निर्देश देते है कि माफिया को तोड़कर उनका नेटवर्क ध्वस्त कर दें. अपराधियों को अधिकतम सजा मिले, इसका ध्यान रखें. 

मकान खोदकर मैदान बना दूंगा
शिवराज सिंह चौहान कई मौकों पर मंच से सीधे माफिया और गुंड़ों को चेतावनी देते हुए देखें गए है. उन्होंने एक बार कहा था कि मध्य प्रदेश में जितने भी गुंडे और अपराधी हैं, वे सुन ले कि अगर किसी गरीब और कमजोर की तरफ़ हाथ उठाया तो मैं मकान खोदकर मैदान बना दूंगा. चैन से नहीं रहने दूंगा किसी भी कीमत पर. 

बुलडोजर मामा का मिला टैग
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को बुलडोजर मामा की उपाधि  भोपाल के कट्टर हिंदुत्ववादी छवि वाले नेता और विधायक रामेश्वर शर्मा ने दी. उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का माफियाओं पर कार्रवाई का अंदाज इतना पसंद आया कि पूरे भोपाल शहर को बुलडोजर मामा के नाम के होर्डिंग लगा दिए थे.

जानिए शिवराज सिंह चौहान का सियासी सफर
बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साल 2005 से मध्यप्रदेश की सत्ता संभाल रहे हैं. हालांकि 2018 में उनको सरकार से हटना पड़ा था लेकिन 15 महीने के ब्रेक के बाद वो फिर सत्ता में वापिस आ गए. सीएम शिवराज 13 साल की उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए थे. साल 1975 में पहली बार वो मॉडल स्कूल में संघ अध्यक्ष बनें. 1977-78 में वो एबीवीपी में संगठन मंत्री बने. शिवराज सिंह चौहान 5 बार सांसद रह चुके हैं. वहीं बुधनी से पांच बार विधायक भी बने हैं. 2003 में वो दिग्विजय सिंह के खिलाफ राघौगढ़ से चुनाव लड़े, लेकिन वो हार गए. ये उनकी राजनीतिक जीवन की पहली हार थी.

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