रतलाम में बारिश कम होने से यहां के किसान मल्चिंग विधि से खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. इस विधि से खेती करने पर किसानों को बारिश का इंतजार नहीं करना पड़ता. मल्चिंग विधि से खेती करने पर कम लागत और कम पानी में अच्छी पैदावार होती है.
Trending Photos
चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलामः मध्य प्रदेश में मानसून के दस्तक देने के बाद से कुछ जिलों में तेज बारिश होने से किसान खेती करना शुरू कर दिए हैं. वहीं मानसून के आने के बाद से रतलाम में हल्की हल्की बारिश तो हो गयी है, लेकिन खेतो में बोवनी की जा सके इसके लिए किसानों को अभी और बारिश का इंतजार है. बारिश लेट होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. कई खेतो को तो अब तक पर्याप्त बारिश नहीं होने से बोवनी के लिए तैयार भी नहीं किया जा सका है. वहीं कई खेत में किसानों ने बोवनी के लिए तैयारी कर ली है. लेकिन अभी मिट्टी में पानी की कमी है और किसान बोवनी के लिए पर्याप्त बारिश का इंतजार कर रहे हैं. वहीं नई पीढ़ी के शिक्षित व युवा किसान मल्चिंग खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. मल्चिंग विधि से खेती करने पर किसानों को बारिश का इंतजार नहीं करना पड़ता है.
मल्चिंग विधि से खेती किसान अपने खेत में पानी के संसाधन की व्यवस्था कर बोरवेल से भी समय पर बोवनी कर सकते हैं. वहीं इस तरह की खेती करने से सबसे बड़ा फायदा है कि इससे कम बारिश और ज्यादा बारिश दोनों में फसल में कोई नुकसान नहीं होती है. हर साल बारिश के समय से लेट होने के कारण अब ज्यादात्तर किसान मल्चिंग खेती की ओर जा रहे हैं, किसानों का मनानां है कि इससे कई तरह के फायदे तो हैं ही, वहीं फसल खराब होने की आशंका भी नहीं के बराबर हो जाती है.
जानिए कैसे करते हैं मल्चिंग विधि से खेती
दरअसल मल्चिंग खेती में खेत में क्यारियां बनाकर उस क्यारी में 4 फीट चौड़ाई की एक प्लास्टिक को हर क्यारी में बिछाया जाता है, इससे पहले इन सब क्यारियों में एक पतली नली भी डाली जाती है, जिससे समय पर पर्याप्त पानी, मिट्टी जड़ो को मिल सके. इस क्यारी में बिछाई गई पन्नी में छेद थोड़ी थोड़ी दूरी पर जिस सब्जी या फल की खेती करना है, उसके तैयार पौधे लगाए जाते हैं, इस तरीके से पूरा खेत तैयार कर लिया जाता है.
किसानों ने बताया कि अब यदि बारिश समय पर नहीं हुई या बारिश कम हुई तो नालियों के माध्यम से पानी मिट्टी और पौधौं को दिया जा सकता है. वहीं पन्निया लगी होने से मिट्टी का पानी जल्दी सूखता नहीं और कम पानी मे खेती हो जाती है. इसके अलावा यदि बारिश ज्यादा हो गयी तो भी पन्नियों के कारण न मिट्टी बहेगी और न ही जड़े मिट्टी से बाहर आएगी. इसके अलावा इस मल्चिंग पद्धति में क्यारियों में पन्नी के कारण खरपतवार भी नहीं उग सकेगी.
किसानों ने बताया कि मल्चिंग विधि से खेती करने से निंदाई जुताई का समय खर्च सब बज जाता है. वहीं खरपतवार नहीं होने से कीटनाशक का भी इस्तेमाल नहीं करना होता है, इससे फसल को भी नुकसान नहीं होता है. ऐसे में इस मल्चिंग पद्धत्ति से अब ज्यादातर किसान खेती करते हुए बारिश के इंतजार में न बैठकर समय पर बुआई व फसल तैयार कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Monsoon Update 2022: एमपी-छत्तीसगढ़ में मानसून ने पकड़ी रफ्तार, इन जिलों में तेज बारिश का अलर्ट
LIVE TV