MP Politics: कोर्ट से सजा मिलने के बाद भी नहीं गई थी MP के इन विधायकों की सदस्यता, जानिए वजह
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MP Politics: कोर्ट से सजा मिलने के बाद भी नहीं गई थी MP के इन विधायकों की सदस्यता, जानिए वजह

MP News: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसद सदस्यता जाने के बाद सियासत का माहौल गरम है. उनके जैसा केस एमपी के तीन विधायकों के साथ हुआ था. जिन्हें कोर्ट से सजा मिली सजा मिली लेकिन उसके बाद भी उनकी सदस्यता बरकार रही. जानिए मामला.

MP Politics: कोर्ट से सजा मिलने के बाद भी नहीं गई थी MP के इन विधायकों की सदस्यता, जानिए वजह

Rahul Gandhi Parliament Membership Rejected: मोदी सरनेम केस (Modi Surname Case) के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद की सदस्यता चली गई. जिसके बाद कांग्रेस (Congress)पार्टी लगातार हंगामा कर रही है. जिस लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कांग्रेस नेता की सदस्यता गई है उसी के फेर में एमपी के तीन विधायक भी फंसे थे. लेकिन इसके बावजूद भी उनकी सदस्यता बरकार रही. कैसे हुई ये प्रक्रिया जानते हैं.

इन विधायकों की बची थी विधायकी
एमपी के अशोकनगर से विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाण पत्र हाईकोर्ट निरस्त करके उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा उनके ऊपर 50 हजार का जुर्माना लगाने के साथ सदस्यता खत्म करने का आदेश हुआ था. लेकिन जज्जी ने ऊपरी अदालत की बदौलत अपनी विधायकी सुरक्षित रखी.

राहुल सिंह लोधी पर आई थी आंच
एमपी के खरगापुर विधानसभा सीट से विधायक राहुल सिंह लोधी के खिलाफ जानकारी छिपाने का आरोप लगा था. जिसके बाद हाईकोर्ट ने आरोप को सही पाते हुए राहुल लोधी का निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया था. लेकिन लोधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अपनी विधायकी बरकार रखी थी.

कानूनी दांव पेंच में फंसे थे कांग्रेस विधायक
मध्य प्रदेश के सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह भी कानूनी दांव पेच में फंस चुके हैं. अजब सिंह के ऊपर सरकारी जमीन को बेचने के आरोप लगे थे जिसके बाद कोर्ट ने सजा सुनाई थी और विधायकी खत्म करने का भी आदेश दिया था. लेकिन इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अपनी विधायकी बरकार रखी.

इन विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने ऊपरी अदालत से स्थगन लाने का मौका दिया था और स्थगन मिलने के बाद उनकी विधायकी बच गई. लेकिन राहुल गांधी के केस में लोकसभा अध्यक्ष ने भी अपना फैसला जल्दबाजी में ले लिया जिसकी वजह से उनकी संसद सदस्यता खत्म हो गई.

ये है नियम
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत अगर किसी विधायक या सांसद को दो साल की सजा हो जाती है तो उसकी विधानसभा या लोकसभा की सदस्यता चली जाएगी. साथ ही साथ वह 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा. 

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