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MP के इस देवी मंदिर के सामने झुक गई थी ब्रिटिश हुकूमत! 170 साल पुरानी मिट्टी से बनी प्रतिमा है आस्था का केंद्र

Sharadiya Navratri: देश भर में नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार में देवी मंदिर पर भक्तों का तांता लगता है. देश में कई ऐसी मंदिर है जो अपनी पौराणिक मान्यता के लिए जानी जाती है, ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के दमोह में है, जहां पर 170 साल पुरानी विशुद्ध मिट्टी की बनी प्रतिमा स्थापित है. यहां पर नवरात्रि पर देशभर के श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर का क्या इतिहास रहा है. जानते हैं.  

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नवरात्रि के पर्व के दौरान पूरा देश जगजननी की आराधना में जुटा है तो इस बीच एमपी के दमोह में यहां ऐतिहासिक मंदिर में देश भर से भक्त पहुंच रहे हैं.  यहां विराजमान 170 साल पुरानी विशुद्ध मिट्टी की बनी प्रतिमा देश की विरली प्रतिमा है. 

 

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ये मंदिर साल में सिर्फ दोनों नवरात्रि पर ही भक्तों के लिए खोला जाता है, इस स्थान के साथ कई चमत्कार और आज़ादी की लड़ाई के किस्से भी जुड़े हुए हैं. 

 

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साल 1851 में 170 साल पहले इस स्थान पर जगदम्बे की प्रतिमा को स्थापित किया गया था, ब्रिटिश हुकूमत ने मंदिर पर पहरा लगवाया लेकिन उनकी कोशिशें नाकाम रही और ये स्थान लोगों की आस्था का केंद्र बना रहा.

 

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हर साल नवरात्रि की तरह इस साल भी यहां पर भारी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं और माता रानी का आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं. 

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साल 1944 के पहले दशहरा समारोह में यहां विराजमान प्रतिमा शहर में भक्तों को दर्शन देने निकलती थी लेकिन 1944 में जब प्रतिमा शहर में निकली तो अंग्रेजी हुकूमत ने इसे पुराने थाने के सामने रोक लिया और फिर तमाम कोशिशे की.  पर ये मंदिर टस- मस नहीं हुई. 

 

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करीब 14 दिनों तक खुले आसमान के नीचे रखी प्रतिमा के सामने विनती की गई और कहा गया कि अब कभी गर्भगृह से प्रतिमा को बाहर नहीं निकाला जाएगा और तब से मूर्ति इसी स्थान पर विराजमान है.  

 

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खास बात ये है कि इस मंदिर की सेवा चार पीढ़ियों से एक ही परिवार के लोग कर रहे हैं, नवरात्रि पर यहां अलग नजारा है और लोग बड़ी संख्या में यहां पहुँचकर धर्म लाभ ले रहे हैं, 

 

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हर साल नवरात्रि की तरह इस साल भी यहां पर भारी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं और माता रानी का आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं.