PFI का कट्टरपंथ, सिमी से क्या है संबंध? इस राज्य को बनाना चाहता है मुस्लिम बहुल! जानिए सबकुछ
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PFI का कट्टरपंथ, सिमी से क्या है संबंध? इस राज्य को बनाना चाहता है मुस्लिम बहुल! जानिए सबकुछ

PFI Raids: देशभर में आज पीएफआई के ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसियों ने छापेमारी की है. 100 से ज्यादा पीएफआई नेताओं को गिरफ्तार किया गया है. इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद पीएफआई पर बैन लगने का अनुमान लगाया जा रहा है. आइए जानते हैं कि पीएफआई क्या है और क्यों इसे देश के लिए खतरा माना जा रहा है.

PFI का कट्टरपंथ, सिमी से क्या है संबंध? इस राज्य को बनाना चाहता है मुस्लिम बहुल! जानिए सबकुछ

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने आज देशभर में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ठिकानों पर छापेमारी की है. इस छापेमारी में संगठन के 100 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. बता दें कि देश के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की गई है. जिन राज्यों में छापेमारी की कार्रवाई हुई है, उनमें केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश,मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और पुडुचेरी शामिल हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या वजह हैं कि केंद्र सरकार को इतने बड़े पैमाने पर पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत पड़ी?

ऐसे हुई PFI की स्थापना
90 का दशक देश की राजनीति में काफी उथल-पुथल भरा रहा. साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देश के मुसलमानों के मन में शायद असुरक्षा की भावना घर कर गई. माना जाता है कि इसी के चलते इस दौर में कई मुस्लिम संगठन बने. इसी दौरान केरल में नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट, तमिलनाडु में मनिथा निथि पसाराई और कर्नाटक में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी की स्थापना भी हुई. इसके बाद 17 फरवरी 2007 को इन तीनों संगठनों का विलय होकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन हुआ. 

पीएफआई एक सामाजिक संगठन है, जो दावा करता है कि मुसलमानों और दलितों के लिए काम करता है. पीएफआई को मध्य पूर्व के देशों से फंडिंग मिलती है और इसका मुख्यालय केरल के कोझीकोड में था लेकिन बाद में इस मुख्यालय को दिल्ली में शिफ्ट कर दिया गया.

पीएफआई के गठन के दो साल बाद ही गोवा का सिटिजन फोरम इन गोवा, राजस्थान का कम्यूनिटी सोशल एंड एजुकेशन सोसाइटी, आंध्र प्रदेश एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस और पश्चिम बंगाल का नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति, मणिपुर का लियोंग सोशल फोरम जैसे पांच संगठनों का भी पीएफआई के साथ विलय हो गया. पीएफआई का दावा है कि उनका संगठन 23 राज्यों में फैला है और इसके सदस्यों की संख्या 4 लाख है.

प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़ाव
पीएफआई पर आरोप है कि यह प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही दूसरा रूप है. सरकार ने 2001 में सिमी पर प्रतिबंध लगाया था. सिमी का संबंध एक अन्य इस्लामी चरमपंथी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से भी रहा है. सिमी और पीएफआई के संबंध होने का इससे भी पता चलता है क्योंकि सिमी के कई पूर्व सदस्य अब पीएफआई में सक्रिय हैं. कुछ लोगों का मानना है कि सरकार ने जब सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया था तो सिमी के ही पूर्व सदस्यों ने दूसरे नाम से यह संगठन शुरू किया था. सिमी पर प्रतिबंध लगाने के 6 साल बाद ही पीएफआई का गठन हुआ था.  

कट्टरपंथ फैलाने के लगे हैं गंभीर आरोप
साल 2010 में सीएनएन आईबीएन ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि पीएफआई देश में प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के साथ गठजोड़ कर रहा है. यूपी के खूफिया विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में पीएफआई काफी सक्रिय है और खासकर उन इलाकों में पीएफआई की सक्रियता ज्यादा हैं, जो सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील माने जाते हैं. 

पीएफआई अपने गठन के बाद से ही केरल में तेजी से बढ़ा लेकिन यह सुर्खियों में उस वक्त आया, जब 2010 में केरल के एर्नाकुलम जिले में एक कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसेफ का पीएफआई से जुड़े लोगों ने हाथ काट दिया था. टीजे जोसेफ पर आरोप था कि उन्होंने परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र तैयार करते समय पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक संदर्भ दिया था. केरल पुलिस ने इस मामले में पीएफआई से जुड़े 20 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था. 

13 फरवरी 2010 में मुंबई के जर्मन बेकरी ब्लास्ट में पुलिस ने हिमायत बेग नामक आतंकी को पुणे से गिरफ्तार किया था. जांच में पता चला था कि हिमायत बेग भी पीएफआई का सदस्य था और युवाओं को संगठन के साथ जोड़ने का काम करता था. पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) है साथ ही असम में मौलाना बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली असोम युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और पश्चिम बंगाल की मिल्ली इत्तेहाद परिषद, तमिलनाडु की तमिलनाडु मुस्लिम मुनेत्र कषगम समेत कई मुस्लिम संगठनों का भी पीएफआई के साथ गठबंधन है. 

'केरल को मुस्लिम राज्य बनाने का लक्ष्य'
24 जुलाई 2010 को केरल के तत्कालीन सीएम और वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंदन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया था कि पीएफआई केरल को अगले 20 सालों में मुस्लिम बहुल राज्य बनाने की साजिश रच रहा है. इसके लिए संगठन युवाओं को पैसा और हथियार दे रहा है. युवाओं को मुस्लिम बनाने के लिए पैसा और अन्य लालच दिए जा रहे हैं.   

केरल हाईकोर्ट में एक जनहि याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें पीएफआई पर बैन लगाने की मांग की गई है. जब इसे लेकर केरल सरकार से जवाब मांगा गया तो केरल सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी होम आर.राजशेखरन नायर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के जवाब में बताया था कि जांच में ऐसे सबूत मिले हैं कि पीएफआई के आंतकी संगठनों हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर ए तैयबा और अल कायदा के साथ संबंध हैं. हालांकि पीएफआई इससे इंकार करता रहा है. 

MP में तेजी से फैल रहा पीएफआई का नेटवर्क
मध्य प्रदेश के कई जिलों में पीएफआई का नेटवर्क फैल हुआ है. आज हुई छापेमारी ने एनआईए ने इंदौर, उज्जैन में छापेमारी कर संगठन के 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. सरकार को लगातार पीएफआई के खिलाफ इनपुट मिल रहे हैं, जिसके बाद एमपी में संगठन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी की जा रही है.छापेमारी में पीएफआई के ठिकानों से टेरर फंडिंग से जुड़े दस्तावेज और साहित्य बरामद किया गया है. प्रदेश की इंटेलीजेंस यूनिट भी पीएफआई को सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बता चुकी है. सिमी से कनेक्शन उजागर होने के बाद से ही यह संगठन सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर था. एमपी में पीएफआई के 400 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं. इस संगठन का इंदौर, उज्जैन, खंडवा, बुरहानपुर, रतलाम जैसे शहरों में नेटवर्क फैला हुआ है. संगठन की कई अलग-अलग शाखाएं हैं. इनमें नेशनल वीमेंस फ्रंट, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसी शाखाएं शामिल हैं. एमपी ही प्रतिबंधित संगठन सिमी का गढ़ रहा था. 

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