MP News: इकलौते बेटे का मिला कंकाल, नहीं मैच हुआ DNA, अस्थियों के लिए भटक रहे मां बाप
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MP News: इकलौते बेटे का मिला कंकाल, नहीं मैच हुआ DNA, अस्थियों के लिए भटक रहे मां बाप

Damoh News: दमोह जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है. बता दें कि अपने ही बेटे के अस्थियों के लिए मां बाप को दर-दर भटकना पड़ रहा है. पुलिस उन्हें अस्थियां नहीं दे रही है. जानें पूरा मामला...

 

MP News: इकलौते बेटे का मिला कंकाल, नहीं मैच हुआ DNA, अस्थियों के लिए भटक रहे मां बाप

महेंद्र दुबे/दमोह: एमपी के दमोह से एक अनोखा मामला सामने आया है. जहां बेटे के माता-पिता उसके अंतिम संस्कार के लिए पुलिस से उसकी अस्थिया मांग रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें अस्थियां नही दे रही है. अस्थियां मांगने की प्रक्रिया को दो महीने से ज्यादा का वक़्त हो गया हैं. एक पिता अपने बेटे का अंतिम संस्कार तक न कर पाने के लिए मजबूर है. अस्थियां न देने के पीछे की वजह मृतक बच्चे और माता पिता का डीएनए मैच न कर पाना है. क्या है पूरा मामला देखिए इस खास रिपोर्ट में...

जानें पूरा मामला
मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पघरिया थाने के तहत आने वाले पिपरिया छक्का गांव में रहने वाले बड़े किसान लक्ष्मण पटेल का इकलौता बेटा जय राम पटेल दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था और दमोह के सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ता था. बीते 29 मार्च को जय राम अपने गांव पिपरिया में था और अचानक गायब हो गया. परिवार के लोगों ने तलाश की लेकिन बच्चा नहीं मिला. पथरिया पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई. पुलिस तलाश में जुटी थी और पीड़ित परिवार ने जिले भर में पोस्टर लगाकर पता लगाने वाले को पांच लाख का ईनाम देने की घोषणा भी की थी. लेकिन ये सब काम नहीं आया. 

अपनों ने उतारा मौत के घाट
बीते 14 मई को पिपरिया गांव में ही एक खेत मे नर कंकाल बरामद हुआ. उसके पास कपड़ें भी मिले जिसे लापता बच्चे के माता पिता ने पहचान लिया और वो ये मान रहे हैं की ये नर कंकाल उनके बेटे का ही है. लेकिन पुलिस ये मानने को तैयार नहीं है. पीड़ित परिवार का आरोप है कि, उनके परिवार में ही जमीन को लेकर विवाद है औऱ उनके अपनों ने ही एकलौते बेटे को मौत के घाट उतारा है. अमूमन ऐसे मामलों में मृतक की शिनाख्ती के बाद शव मिलने की दशा में उन्हें परिजनों को सौंप दिया जाता है. लेकिन इस बार दमोह पुलिस इन अस्थियों को परिवार वालों को नहीं दे रही है. 

माता-पिता से मैच नहीं हुआ DNA
अब सवाल उठता है कि आखिर पुलिस ऐसा क्यों कर रही है. वजह बेहद अजीबो गरीब नहीं बल्कि विचार करने वाली है. दरअसल, नरकंकाल और लक्ष्मण पटेल और उनकी पत्नि का डीएनए नहीं मिल रहा है. पुलिस ने बाकायदा डीएनए कराया लेकिन वो मैच नहीं हुआ. लिहाजा पुलिस अस्थियां देने में कतरा रही है.

जांच में सामने आई ये बात
अब फिर सवाल उठता है कि आखिर डीएनए मैच क्यों नहीं हुआ? दरअसल, जय राम का जन्म टेस्ट ट्यूब बेबी के जरिये हुआ था. साल 2004 में लक्ष्मण और उनकी पत्नि यशोदा की शादी हुई और चार साल बाद जब बच्चा नहीं हुआ तो उन्होंने इंदौर के एक आई वी एफ अस्प्ताल की शरण ली. यहां आई वी एफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक से लक्ष्मण की पत्नी को गर्भधारण कराया गया. और 2009 में उन्होंने जय राज को जन्म दिया.

 इस दम्पत्ति के पास फिलहाल वो दस्तावेज भी नहीं है जो ये साबित करें कि उनके बेटे का जन्म इस पद्धति से हुआ औऱ डीएनए भी नहीं मिल रहा. लिहाजा पुलिस अस्थियों को नहीं दे पा रही है. हालांकि पुलिस शांत नहीं बैठी है बल्कि कई स्तर पर जांच पड़ताल कराने के बाद अब अस्थियों को चंडीगढ़ भेजा गया है.

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पुलिस को नहीं मिला रिकॉर्ड
इस मामले की जांच करें तो यदि महिला के गर्भ में अंडे नहीं बनते हैं तो डोनेट करके लिया जाता है. ऐसे ही यदि पति के वीर्य में स्पर्म नहीं बनते हैं तो उसे भी डोनेट करके लिया जाता है. कभी ऐसी स्थिति बनती है, जिसमें पति के स्पर्म के गर्भाशय में अंडे नहीं बनते हैं. तब दोनों डोनेट करके लिए जाते हैं. इन्हें लेते समय पति-पत्नी को बता दिया जाता है कि स्पर्म और अंडे किसके हैं. इसका रिकॉर्ड भी संबंधित अस्प्ताल को रखना होता है. नरकंकाल मिंलने और फिर लक्षमण पटेल द्वारा उंस पर दावा किये जाने के बाद दमोह पुलिस इंदौर के उंस आई वी एफ अस्प्ताल भी गई. लेकिन रिकॉर्ड नहीं मिला. 

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