अविश्वास प्रस्ताव पर सियासी आर-पार! बीजेपी ने 9 साल पहले की याद दिलाई तो भड़के नेता प्रतिपक्ष
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अविश्वास प्रस्ताव पर सियासी आर-पार! बीजेपी ने 9 साल पहले की याद दिलाई तो भड़के नेता प्रतिपक्ष

गोविंद सिंह ने कहा कि 9 साल पहले विपक्ष के एक सदस्य के दल बदलने के कारण अविश्वास प्रस्ताव गिरा था. इस बार सदन में पूरी ताकत से सरकार को घेरने का प्लान है.

अविश्वास प्रस्ताव पर सियासी आर-पार! बीजेपी ने 9 साल पहले की याद दिलाई तो भड़के नेता प्रतिपक्ष

प्रमोद शर्मा/भोपालः अविश्वास प्रस्ताव को लेकर राज्य में सियासी रस्साकशी शुरू हो गई है. बता दें कि सोमवार से मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. जिसमें कांग्रेस राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर चुकी है. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस को 9 साल पहले लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की याद दिला दी तो नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भड़क गए. गोविंद सिंह ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है. 

बीजेपी के 9 साल पहले के अविश्वास प्रस्ताव की याद दिलाने पर नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि 9 साल पहले विपक्ष के एक सदस्य के दल बदलने के कारण अविश्वास प्रस्ताव गिरा था. इस बार सदन में पूरी ताकत से सरकार को घेरने का प्लान है. गोविंद सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. मुद्दों को लेकर हम चर्चा चाहते हैं लेकिन सरकार तोड़ने की राजनीति करती है. 

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के मुद्दे पर रविवार को पूर्व सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी हुई. इस बैठक को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी की सरकार हर मोर्चे पर विफल हो गई है. यह जनता के बीच विश्वास खो चुकी है. 

वहीं गोविंद सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शिवराज सरकार के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर लिया है. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी, शिवराज सरकार को जन विरोधी नीतियों को लेकर घेरेगी. 

उल्लेखनीय है कि इससे पहले साल 2011-12 में भी कांग्रेस ने तत्कालीन शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी. हालांकि उस वक्त भी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी और 63 के मुकाबले 149 मतों से यह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था. उस वक्त कांग्रेस ने सरकार पर भ्रष्टाचार और अनियमिततताओं  का आरोप लगाया था और अवैध खनन, संघ समर्थित संस्थाओं को जमीन आवंटन, लोकायुक्त की नियुक्ति समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे. 

 

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