MP Assembly Session: मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव किया है. उन्होंने विधायकों के प्रश्नों और उसके जवाबों को लेकर जरूरी फैसला लिया है जो फायदेमंद साबित हो सकता है.
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Narendra Singh Tomar: मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के पास लंबा संसदीय अनुभव है, जिसका असर अब दिखना शुरू हो गया है. विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा के नियमों को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है, जो विधायकों के लिए फायदेमंद रहेगा. विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर के फैसले से अब सवालों के उत्तर फाइलों में कैद नहीं रहेंगे.
लंबित प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे
दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष ने फैसला किया है कि विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी लंबित प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे. यानि अगर किसी विधायक ने सरकार से कोई सवाल किया है तो उसका जवाब सरकार को देना ही होगा, चाहे वह जवाब सदन की समाप्ति के बाद ही क्यों न दिया जाए, जिसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि विधायक जो प्रश्न लगाएंगे उनके जवाब उन तक जरूर पहुंचेंगे. विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने 8 फरवरी 2024 के बजट सत्र में प्रश्न और अल्प सूचना प्रश्न कंडिका में यह बदलाव किया है.
इस फैसले के बाद सबसे बड़ा बदलाव यह दिखेगा कि अगर विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी लंबित प्रश्नों का उत्तर विधायकों को मिलेगा. इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ के विधायकों को इस बात की संतुष्टि होगी कि उन्होंने जो सवाल विधानसभा में लगाया था, उसका जवाब उन्हें मिला है. ऐसे में विधानसभा की प्रश्वशैली में हुआ यह बदलाव अहम माना जा रहा है.
पहले फाइलों में कैद हो जाते थे जवाब
दरअसल, पहले के विधानसभा के कार्यकालों के दौरान पूर्व के सत्रों में लंबित प्रश्नों के अपूर्ण उत्तर नहीं दिए जाते थे, जिससे लोकहित के कई विषयों पर कार्यवाही नहीं हो पाती थी. हालांकि जवाब दिए जाते थे, लेकिन विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह जवाब फाइलों में कैद होकर रह जाते थे.
चौदहवीं और पन्द्रहवीं विधानसभा पर भी होगा लागू
खास बात यह भी है कि विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के इस फैसले के बाद अफसर किसी भी विधायक के जवाब को नहीं टाल पाएंगे. उन्हें मंत्रियों के माध्यम से उन सवालों के जवाब देने ही होंगे. इसके अलावा अगर किसी सवाल का जवाब तुरंत नहीं भी दिया है तो भी अधिकारियों को आराम फरमाने नहीं दिया जाएगा, बल्कि उन्हें उस सवाल का जवाब आने वाले वक्त में खोजकर प्रश्न करने वाले संबंधित सदस्य को देना ही होगा. खास बात यह है कि यह आदेश पहले की चौदहवीं और पन्द्रहवीं विधानसभा के सभी लंबित प्रश्नों पर भी लागू होगा, यानि पिछले दो कार्यकालों में जो भी लंबित प्रश्न हैं उनके जवाब भी सरकार को देने ही होंगे. पन्द्रहवीं विधान सभा में फरवरी 2023 तक ऐसे प्रकरणों की संख्या 805 है, जिनके जवाब अब जल्द मिलेंगे.
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