MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब प्रदेश की जीवनदायनी मां नर्मदा के किनारे बसे धार्मिक नगरों और स्थलों के आसपास मांस-मदिरा की ब्रिकी पर प्रतिबंध रहेगा.
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MP Govt Big Decisions: मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के जल को पवित्र और प्रवाह को अविरल रखने के लिए बड़ा फैसला लिया है. शुक्रवार को CM मोहन यादव की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री मोहन ने समीक्षा करने के साथ-साथ कई बड़े फैसले लिए. अब नर्मदा किनारे बसे धार्मिक नगरों और स्थलों के आसपास मांस-मदिरा पर प्रतिबंध रहेगा. इसके अलावा अधिकारियों को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी दिए.
मांस-मदिरा पर प्रतिबंध
बैठक में फैसला लिया गया कि नर्मदा किनारे बसे धार्मिक नगरों और स्थलों के आसपास मांस-मदिरा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए. साथ ही नदी में मशीनों से खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के भी निर्देश दिए. वहीं, नर्मदा नदी के आसपास चलने वाली गतिविधियों पर सेटेलाइट इमेजरी और ड्रोन टेक्नोलॉजी के जरिए नजर रखी जाए.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा नर्मदा नदी के जल को निर्मल एवं प्रवाह को अविरल रखने तथा समग्र विकास के लिए कार्ययोजनाओं की प्रगति की समीक्षा
महत्वपूर्ण दिशा- निर्देश
⏩ नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक का प्रबंधन 'अमरकंटक विकास प्राधिकरण' गठित कर किया जाए।
⏩नर्मदा संरक्षण के… pic.twitter.com/vHIczIRZwX
— Jansampark MP (@JansamparkMP) September 13, 2024
CM डॉ. मोहन यादव ने मां नर्मदा नदी के समग्र विकास को लेकर बैठक में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए-
नर्मदा परिक्रमा को प्रमुख धार्मिक पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित किया जाए
- विश्व की यह एकमात्र नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है. ऐसे में रिक्रमा को प्रमुख धार्मिक और पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से परिक्रमा करने वालों की सुविधा के लिए परिक्रमा पथ विकसित करने की दिशा में चरणबद्ध रूप से कार्य किया जाए.
- परिक्रमा पथ पर स्थानों को चिन्हांकित कर स्थानीय पंचायतों और समितियों के माध्यम से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में गतिविधियां आरंभ की जाए.
- इसके साथ ही परिक्रमा करने वालों के आवास व भोजन आदि की व्यवस्था के लिए स्व-सहायता समूहों और स्थानीय युवाओं को होम स्टे विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाए.
- परिक्रमा पथ पर साइन बोर्ड स्थापित करने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर इन्फॉरमेंशन सेंटर विकसित किए जाएं. इससे युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.
- पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा जी के आसपास चलने वाली गतिविधियों पर सेटेलाइट इमेजरी व ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी नजर रखी जाए.
- यह भी सुनिश्चित किया जाए कि नर्मदा नदी के तट पर बसे धार्मिक नगरों, स्थलों व उनके आसपास मांस-मदिरा का उपयोग नहीं हो.
- नदी में मशीनों से खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाए.
- विभिन्न शासकीय विभागों के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठनों, आध्यात्मिक मंचों और जनसामान्य की सक्रिय सहभागिता से नर्मदा संरक्षण, संवर्धन की योजना का आधुनिकतम तकनीक और संसाधनों का उपयोग करते हुए क्रियान्वयन किया जाए.
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अमरकंटक विकास प्राधिकरण का गठन
- नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक का प्रबंधन अमरकंटक विकास प्राधिकरण गठित कर किया जाए.
- भविष्य में होने वाली बसाहटों के लिए नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से दूर भूमि चिन्हित कर सेटेलाइट सिटी विकसित की जाए.
- यह सुनिश्चित हो कि मां नर्मदा के प्राकट्य स्थल अमरकंटक से लेकर प्रदेश की सीमा तक किसी भी बसाहट का सीवेज नर्मदा नदी में नहीं मिले, इसके लिए समय-सीमा निर्धारित कर कार्य किया जाए.
- ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग हो.
- नर्मदा संरक्षण के लिए सभी से सुझाव और नवाचारी उपाय आमंत्रित किए जाएं.
- ओंकारेश्वर स्थित ममलेश्वर मंदिर के उन्नयन के लिए कार्य योजना बनाई जाए और इस संबंध में केन्द्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से चर्चा की जाए.
- जीआईएस व ड्रोन सर्वे के माध्यम से नर्मदा नदी के दोनों ओर के विस्तार का चिन्हांकन कर क्षेत्र के संरक्षण के लिए विभिन्न विभागों द्वारा समन्वित रूप से योजना तैयार की जाए.
इनपुट-भोपाल से प्रमोद शर्मा की रिपोर्ट, ZEE मीडिया
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