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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी मुफ्त की राजनीति या फिर मुफ्त रेवड़ी कल्चर को खुलकर प्रमोट करते हुए नजर आ रही है. जी हां, ये वही रेवड़ी कल्चर है, जिसका खुद पीएम मोदी विरोध कर चुके हैं. लेकिन दूसरी ओर प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान एक के बाद एक मुफ्त योजनाओं की घोषणा कर रही है. इसी कड़ी में लाडली बहना योजना के बाद अब किसानों के लिए 'मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना' की शुरुआत की है.
MP में खुलकर हो रहा रेवड़ी कल्चर
एक तरफ शिवराज सरकार लाडली बहना योजना के बहाने 1000 रुपये महिलाओं के खाते में डलवा रही है तो वहीं मध्यप्रदेश के किसानों के लिए कृषक मित्र योजना के जरिए किसानों को कृषि पंप लगाने के लिए सरकार की ओर से 40 प्रतिशत और विद्युत वितरण कंपनी की ओर से 10 प्रतिशत राशि का भुगतान कराने की पेशकश लेकर आई है.
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जानिए आखिर क्या है मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना?
दरअसल इस योजना के तहत किसानों को कृषि पंप लगाने के लिए सरकार की ओर से 40 फीसदी और बिजली कंपनी की ओर से 10 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाएगा. जबकि किसानों को इसमें सिर्फ 50 फीसदी राशि का भुगतान ही करना होगा. यानी किसानों के खेत तक पानी और बिजली पहुंचाने के लिए सरकार ये योजना लाई है, जिसमें किसानों को 50 फीसदी खर्च करना होगा और 40 फीसदी सरकार और 10 फीसदी बिजली कंपनी भुगतान करेगी.
इस योजना में बिजली विभाग की काफी भूमिका रहने वाली है, क्योंकि विद्युत विभाग द्वारा अधिकतम 200 मीटर दूरी तक 11 केव्ही लाईन का विस्तार किया जाएगा. साथ ही कंपनी वितरण ट्रांसफार्मर भी स्थापित करेगी. इसके लिए केबल लाइन भी बिछाई जाएगी. ये तो रही योजना की बात अब एमपी सरकार पर कर्ज के बोझ की भी बात कर लेते हैं.
मध्यप्रदेश पर बढ़ा कर्ज का बोझ
प्रदेश में रेवड़ी कल्चर का ये हाल तब है जब वर्तमान में प्रदेश पर 23,011 करोड़ रुपये की पेंशन देनदारी है, जो आने वाले समय में काफी बढ़ने वाली है. वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह ने सरकार के लगातार कर्ज लेने और एमपी पर बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि रेवड़ी कल्चर की वजह से कर्ज बढ़ रहा है. एमपी सरकार पर 3 लाख 32 हजार करोड़ के आसपास का कर्ज है. हर साल सरकार कर्ज पर 20 हजार करोड़ रुपये ब्याज देती है. कर्ज के हिसाब से प्रति व्यक्ति 40 हजार का लोन है. 2023-24 बजट से 18 हजार करोड़ ज्यादा का कर्ज है. 2023-24 बजट के अनुसार आय से कर्ज 50 हजार करोड़ के लगभग ज्यादा है.