Gwalior: कुत्ते बने हैवान! ग्वालियर में 24 घंटे में 455 लोगों को कुत्तों ने काटा, भोपाल में दो मासूमों की मौत
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Gwalior: कुत्ते बने हैवान! ग्वालियर में 24 घंटे में 455 लोगों को कुत्तों ने काटा, भोपाल में दो मासूमों की मौत

MP Dog Attack: मध्यप्रदेश में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक काफी बढ़ता ही जा रहा है. भोपाल में जहां बीते 15 दिनों में 2 मासूम बच्चों की जान आवारा कुत्तों ने ले ली तो वहीं ग्वालियर में पिछले 24 घंटे में 455 से ज्यादा कुत्तों को लोगों ने अपना शिकार बनाया है.

Gwalior: कुत्ते बने हैवान! ग्वालियर में 24 घंटे में 455 लोगों को कुत्तों ने काटा, भोपाल में दो मासूमों की मौत

MP Dog Attack: मध्यप्रदेश में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक काफी बढ़ता ही जा रहा है. भोपाल में जहां बीते 15 दिनों में 2 मासूम बच्चों की जान आवारा कुत्तों ने ले ली तो वहीं ग्वालियर में पिछले 24 घंटे में 455 से ज्यादा कुत्तों को लोगों ने अपना शिकार बनाया है. यहां हर दिन कई लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैं.  इस घटना से ये भी स्पष्ट पता चल रहा है कि नगर निगम पूरी तरह फेल हो गया है.

बता दें कि ग्वालियर में आवारा कुत्तों के हमले दिन पर दिन बढ़ रहे हैं. बीते 24 घंटे में 455 से ज्यादा लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बना लिया है.  शहर के मुरार जिला अस्पताल में 180 डॉग बाइट के मरीज पहुंचे, तो जयरोग्य अस्पताल में 131, वहीं हज़ीरा सिविल अस्पताल में 77, डबरा सिविल अस्पताल में 39, भितरवार अस्पताल में 28 डॉग बाइट के मरीज पहुंचे. कुत्तों के हमले में घायल हुए सभी लोगों का इलाज किया जा रहा है.

लोग घर से बाहर निकलने में डर रहे
ग्वालियर में कुत्तों के हमले की घटना से शहर में इतना खौफ है कि लोग अपने बच्चों को भी घर से अकेले निकलने नहीं दे रहे हैं.  हर  चौक-चौराहे और गली-मोहल्ले हर जगह आवारा कुत्तों के झुंड मिल जाते हैं.

भोपाल में दो मासूम ने तोड़ा दम
आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्वालियर ही नहीं बल्कि राजधानी भोपाल में भी बीते 15 दिन में कुत्ते के हमले ने दो बच्चों की जान ले ली है. हमीदिया अस्पताल में बीते दिन 4 साल के सुलेमान ने रेबीज की वजह से अपना दम तोड़ दिया था. इस मौत पर हमीदिया अस्पताल पर भी सवाल उठ रहे हैं. मासूम बच्चे के मामा का बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि  हमीदिया अस्पताल में शुरुआत में अच्छा इलाज मिला. सभी इंजेक्शन लगाए गए थे. लेकिन दूसरी बार अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टर अंदाजा ही नहीं लगा पाए बच्चे के साथ क्या हो रहा है? 

शुरुआत के चार दिन इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. चार दिन बाद फिर तबीयत बिगड़ने के बाद हमीदिया अस्पताल लेकर पहुंचे तो सिर्फ ग्लूकोज की बॉटल चढ़ाई गई. रेबिज के इन्फेक्शन की वजह से बच्चों के व्यवहार में अचानक बदलाव आया. पानी और पंखे से मासूम को डर लगने लगा फिर उसने दम तोड़ दिया.

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