Chhindwara weird murder case: छिंदवाड़ा में नाबालिग को मृत बताकर पिता-पुत्र को जेल भेजने वाले एसडीओपी पर कार्रवाई होगी. कोर्ट ने पिता-पुत्र को बरी कर दिया है.
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सचिन गुप्ता/छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा जिले से एक ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने लोगों को दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दिया. दरअसल, मामला एक युवती की मौत से जुड़ा हुआ है. जिस लड़की की हत्या के आरोप में पुलिस ने पिता और भाई को जेल भेज दिया था, वह अचानक जिंदा लौट आई. इस घटनाक्रम के बाद पुलिस और अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला छिंदवाड़ा जिले के सिंगोड़ी चौकी अंतर्गत ग्राम जोपानला का है. यहां जिस लड़की को पुलिस ने 2014 में मृत घोषित कर दिया था, वह अचानक घर वापस आ गई. दरअसल, कंचन उइके 13 जून 2014 को लापता हो गई थी. लड़की गांव के ही रामस्वरूप डेहरिया के बहकावे में आकर बिना किसी को बताए भोपाल चली गई थी. उस वक्त लड़की नाबालिग थी. लड़की के परिजनों ने सिंगोड़ी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. लेकिन पुलिस ने उल्टा परिवार वालों को ही धमकाया और उनसे पूछताछ शुरू कर दी. इस मामले में पुलिस ने उसके पिता और भाई को हत्या का आरोपी बनाकर जेल भेज दिया था.
10 साल बाद वापस लौटी युवती
आपको बता दें कि युवती कई सालों से घर नहीं पहुंची थी. जब एक परिचित ने लड़की को बताया कि पुलिस ने उसकी हत्या के मामले में उसके पिता और भाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है तो युवती घर लौट आई. कंचन ने पुलिस को बताया कि वह अपने एक साथी के साथ घर से गुस्सा होकर चली गई थी. इसके बाद पुलिस ने उसकी डीएनए जांच कराई, जिसमें वह वाकई कंचन उइके निकली. इसके बाद न्यायालय ने गलत आरोप में सजा काट रहे पिता-पुत्र को बरी कर दिया है.
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जेल भेजने वाले एसडीओपी पर होगी कार्रवाई
कोर्ट ने पिता-पुत्र को बरी करते हुए इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारियों को दोषी माना है और उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये हैं. आपको बता दें कि परिवार ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उन्हें झूठे मामले में जेल भेजा गया है, जबकि उनकी बेटी जिंदा है. उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि तत्काल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.