Central Vista Avenue: प्रधानमंत्री नरेंद् मोदी ने गुरुवार को कर्तव्य पथ (Kartavya Path) का उद्घाटन किया. इससे पहले उन्होंने इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया. जानें क्या है कर्तव्य पथ का इतिहास...
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नई दिल्ली/श्यामदत्त चतुर्वेदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण और कर्तव्यपथ का उद्घाटन किया. इस मौके पर केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन मेघवाल, संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी मौजूद रहे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को उसी स्थान पर स्थापित किया गया है, जहां इस साल की शुरूआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था.
उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी का भाषण
पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं. आज के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम पर पूरे देश की दृष्टि है. सभी देशवासी इस समय, इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं. मैं इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन रहे सभी देशवासियों का हृदय से स्वागत करता हूं.
सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा
बता दें ये दोनों निर्माण कार्य सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. इससे पहले जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन की छत पर बनाए गए अशोक स्तंभ का भी अनावरण कर चुके हैं.
26,000 घंटे में बनी नेताजी की मूर्ति
नेताजी की जिस प्रतिमा का पीएम मोदी ने अनावरण किया है, उसे 280 मीट्रिक टन वजन वाले ग्रेनाइट के एक अखंड ब्लॉक से उकेरा गया है. 26,000 घंटे की मेहनत के बाद, 65 मीट्रिक टन वजनी मूर्ति का निर्माण करने के लिए ग्रेनाइट मोनोलिथ को तराशा गया था. पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके मूर्ति को पूरी तरह से हाथ से तराशा गया है. मूर्ति को बनाने के लिए मूर्तिकारों की टीम को अरुण योगीराज ने लीड किया था.
मूर्तिकार अरुण योगीराज देखरेख में तैयार हुई मूर्ति
मैसूर के पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार अरुण योगीराज के नेतृत्व में एक टीम ने पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके मूर्ति को हाथ से तराशा. उन्होंने कहा कि ग्रेनाइट पर चेहरे की विशेषताओं को तराशने और एक्सप्रेशन के लिए कड़ी मेहनत की गई. नेता जी सुभाष चंद्र बोस के 600 चित्रों को परखने के बाद इसे तैयार किया गया.
1968 में हटा दी गई थी किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा
जिस छतरी के नीचे नेता जी की प्रतिमा को पहले रखा गया था, उसमें ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम की एक प्रतिमा थी, जिसे 1968 में हटा दिया गया था. दशकों तक, चंदवा में अमर जवान ज्योति थी, जिसे गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक मशाल की शाश्वत लौ के साथ मिला दिया गया था.
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान का हिस्सा है. राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच की सड़क और उसके दोनों ओर के इलाके को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू कहते हैं. सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी. कई अड़चनों के बाद 2021 में इसका निर्माण शुरू हुआ. इस परियोजना पर कुल 608 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस पूरे प्रोजेक्ट का काम जनवरी 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है.
राजपथ से कर्तव्य पथ तक
15 दिसंबर 1911 को ब्रिटिश राज की ‘नयी राजधानी’ की आधारशिला रखी थी. इसके बाद ही किंग्सवे का निर्माण हुआ. रायसीना हिल परिसर से इंडिया गेट तक फैले राष्ट्रीय राजधानी का इस पथ नयी दिल्ली के बीचों बीच एक राजसी केंद्रीय धुरी थी. ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम द्वारा प्रशासन के केंद्र कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद इसका निर्माण किया गया था. आजादी के तुरंत बाद किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया और इसके लंबवत मार्ग क्वींसवे का नाम बदलकर जनपथ कर दिया गया. अब, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया.
अंग्रजों ने कराया था निर्माण
नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के 3.2 किमी लंबे क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहते हैं. दिल्ली के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में शामिल इस इलाके की कहानी 1911 से शुरू होती है. उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था. 1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का ऐलान किया और फिर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर की निगरानी में इसका निर्माण किया गया. इसी का नाम निर्माण पूरा होने के बाद किंग्सवे कर दिया गया था.