Dhirendra Shastri: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) के बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने एक इंटरव्यू में खुद को अपनढ़ गंवार बताया. इसके अलावा कहा कि जब कोई साधु संतो पर सवाल खड़ा करता है तो मुझे गुस्सा आ जाता है और मैं बोल जाता हूं.
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Bgeshwar dham: बीते कई दिनों से बागेश्वर धाम और उसके पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) लगातार सुर्खियों में है. हाल में ही उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र (Hindu Rashtra) बनाने के लिए बागेश्वर धाम में विशाल यज्ञ का आयोजन किया था. इसके अलावा उनके भाई के रिवाल्वर लहराने के बाद पुलिस (Police) ने मामला दर्ज कर लिया है. लगातार सुर्खियों में रहने वाले धीरेंद्र शास्त्री ने हाल में ही मीडिया के एक सवाल पर खुद को अनपढ़, गंवार और अंगूठा छाप आदमी कहा था. उन्होंने किस बात पर ऐसी बातें कही जानते हैं.
इस बात पर बोले बाबा
इंटरव्यू के दौरान उनकी भाषा शैली पर उनसे सवाल किया गया था कि वो एक पत्रकार को उन्होंने कहा था कि नंगा कर देंगे. उनके ऊपर आरोप लगाया कि ये बाबा की भाषा नहीं हो सकती है. इसके अलावा ठठेरी के बरे के बारे में भी उन्होंने बताया. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड का एक भावनात्मक शब्द ठठेरी है और यहां पर जब भी मां गुस्सा होती हैं तो कहती हैं ठठरी के बरे सुधर जा और बताया कि हम गांव के भोले - भाले अनपढ़ गंवार आदमी हैं, अंगूठा छाप हैं हमारी ठीक से पढ़ाई नहीं हुई .
आगे जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई साधु रामचरित मानस या भगवान पर सवाल उठाता है तो अपने आप ही ये भाषा निकल जाती है. अगर कोई भगवान को गाली देता है तो उनका सम्मान किया जाए उन्हें स्वामी कहा जाए ये बिल्कुल भी उचित नहीं है. साथ ही साथ उन्होंने बताया कि एक शख्स ने कथावाचकों को पाखंडी बताया था इसलिए हमने ऐसा बोला. कथा वाचकों के बारे में कहा कि कथावाचक हो सकते हैं पाखंडी हों लेकिन जो हों उन्हें बोला जाए सबको ऐसा नहीं कहना चाहिए. पर उस शख्स ने सभी कथा वाचकों को पाखंडी बोला था इसलिए उसके लिए ऐसे शब्द का प्रयोग किया गया. बता दें कि ये बातें बागेश्वर बाबा इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'आप की अदालत' में कही.
220 लोगों ने अपनाया सनातन
इसके अलावा बागेश्वर बाबा ने कहा कि छतरपुर में हो रहे यज्ञ के दौरान 220 लोगों ने फिर से सनातन धर्म में वापसी करवाई. उन्होंने बताया कि ये लोग ईसाई मिशनरियों की बातें और घर के लालच में ईसाई बन गए थे. लेकिन जब उन्होंने अपना वादा नहीं पूरा किया तो वो लोग बिना किसी के दबाव में आए फिर से सनातन धर्म अपना लिया.